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कोलकाता : खिलाड़ियों के लिए बहुत पुरानी कहावत है-फार्म इज टेंपररी, क्लास इज पर्मानेंट। पिछले कुछ महीने विराट कोहली की कप्तानी और फार्म को लेकर बहुत कुछ कहा और लिखा गया। विराट ने टी-20 की कप्तानी क्या छोड़ी, उनसे वनडे की कप्तानी भी छीन ली गई। साथ ही रविचंद्रन अश्विन, कुलदीप यादव समेत कई खिलाड़ियों को जान-बूझकर मौके नहीं देने के आरोप भी लग गये। विरोधी टीमों के गेंदबाजों पर तूफान बरपान वाले कोहली ने खुद एक तूफान झेला है। वैसे यह हरेक भारतीय कप्तान की नियति भी रहा है। निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन है और विराट को भी अब तमाम चीजों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना होगा क्योंकि सामने सचिन तेंदुलकर का महारिकॉर्ड हैं। भारत को एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जिता पाने के कारण आने वाले समय में दुनिया भले उन्हें महान कप्तान के तौर पर याद न रखे लेकिन दुनिया का सबसे महान बल्लेबाज बनने का मौका अभी भी उनके पास है। अब उन्हें उसी पर ध्यान देना होगा। विराट के करियर की दूसरी पारी की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से होने जा रही है।
अब देखना यह है कि अफ्रीकी जमीन पर भारत का यह घायल शेर फिर से दहाड़ते हुए शतक का सूखा खत्म कर पाता है या नहीं। बता दें कि कोहली ने 23 नवंबर 2019 को अपना आखिरी शतक लगाया था। उन्होंने कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डेन्स मैदान पर बांग्लादेश के खिलाफ शतकीय पारी खेली थी। इसके बाद से अब तक उनके बल्ले से कोई शतक नहीं निकला है।