Home Daily News Scotland ke Balmoral Castle me 96 years ki queen Elizabeth ki death hogyai | स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में 96 साल की महारानी एलिजाबेथ का निधन

Scotland ke Balmoral Castle me 96 years ki queen Elizabeth ki death hogyai | स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में 96 साल की महारानी एलिजाबेथ का निधन

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ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार देर रात निधन हो गया। वह पिछले कुछ वक्त से बीमार थीं। 96 साल की महारानी स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में रह रही थीं। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। वे सबसे लंबे समय तक (70 साल) ब्रिटेन की क्वीन रहीं।

अब प्रिंस विलियम 40 साल की उम्र में ब्रितानी सिंहासन के उत्तराधिकारी बन गए हैं। उनके पिता प्रिंस चार्ल्स (73 साल) अब किंग हो गए हैं।

मेडिकल सुपरविजन में थीं महारानी


गुरुवार दोपहर को महारानी एलिजाबेथ की तबीयत नाजुक होने की खबर सामने आई थी। इसके बाद वे डॉक्टर्स की देखरेख में थीं। बीमारी की वजह से महारानी बाल्मोरल महल में रह रही थीं। वे सभी आधिकारिक काम इसी पैलेस से कर रही थीं। ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने 6 सितंबर को यहीं आकर उनसे मुलाकात की और यहीं शपथ ली थी।

शाही परिवार ने बताया था कि महारानी Episodic Mobility की दिक्कत से जूझ रही थीं। इस बीमारी में मरीज को खड़े होने और चलने में परेशानी होती है। उन्हें 19 फरवरी 2022 को कोरोना भी हुआ था।

शोक में शाही परिवार और ब्रिटेन
महारानी एलिजाबेथ के पति प्रिंस फिलिप की मौत 9 अप्रैल 2021 को हुई थी। अब महारानी भी नहीं रहीं। शाही परिवार अब आधिकारिक रूप से शोक में होगा। सभी अधिकारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। शाही महलों और घरों पर यूनियन जैक आधा झुका दिया गया है। इसके अलावा ब्रिटेन की सभी बाहरी पोस्टों और सैन्य ठिकानों पर भी झंडा झुका रहेगा।

PM मोदी ने दुख जताया, कहा- वो एक दिग्गज शासक थीं


PM नरेंद्र मोदी ने एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा- एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज शासक के रूप में याद किया जाएगा। दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं।

उन्होंने बताया- मैं 2015 और 2018 में UK की यात्राओं के दौरान महारानी से मिला था। एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे एक रूमाल दिखाया था, जो महात्मा गांधी ने उनकी शादी में गिफ्ट किया था।

वर्ल्ड लीडर्स ने दुख जताया, जस्टिन ट्रूडो बोले- कनाडा उनके कामों को हमेशा याद रखेगा

  • फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि महारानी ने 70 से साल तक ब्रिटेन को स्थिरता दी। क्वीन ने लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जिसे लोग हमेशा याद रखेंगे।
  • कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि क्वीन एलिजाबेथ ने कनाडा के लोगों के लिए जो किया, उसे हम कभी नहीं भूलेंगे।
  • अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय एक सम्राट से कहीं अधिक थीं। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया।
  • बकिंघम पैलेस की गार्ड चेंजिंग सेरेमनी रद्द
    लंदन के बकिंघम पैलेस में होने वाली गार्ड चेंजिंग सेरेमनी को रद्द कर दिया गया है। सेरेमनी के दौरान जहां पर यात्री जुटते हैं, ठीक उसी जगह पर एक बोर्ड लगा दिया गया है। इससे पहले महारानी की प्रिवी काउंसिल, यानी गुप्त जानकारी से संबंधित मंत्री परिषद की वर्चुअल मीटिंग भी रद्द कर दी गई थी।
  • तस्वीरों में देखें महारानी का सफर…
  • क्वीन एलिजाबेथ 2 जून 1953 को ब्रिटेन की महारानी के पद पर आसीन हुईं थीं। जब एलिजाबेथ क्वीन बनीं, तब दुनिया ही नहीं, ब्रिटेन में भी राजशाही पर सवाल उठ रहे थे, लेकिन महारानी एलिजाबेथ ने तमाम विरोध के बावजूद शाही परिवार के रुतबे और असर को बरकरार रखा।

    दरअसल, ​​​​​क्वीन एलिजाबेथ के करीब सत्तर साल के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में भारी बदलाव हुए। इस दौरान ब्रिटेन ने सिर्फ आर्थिक चुनौतियों का ही नहीं बल्कि राजनीतिक संकटों का भी सामना किया। उतार-चढ़ाव के दौर में ब्रिटेन की महारानी अपने देश की जनता के लिए भरोसे का प्रतीक बनीं रहीं।

    25 साल की एलिजाबेथ क्वीन बनी, तब अंग्रेजी हुकूमत का रुतबा और रकबा दोनों घट रहे थे


  • एक दौर में दुनिया के बड़े हिस्से में ब्रितानी साम्राज्य की एकछत्र हुकूमत थी, लेकिन एलिजाबेथ ने जब ताज पहना तो ब्रितानी साम्राज्य का रुतबा और रकबा दोनों घट रहे थे। ब्रितानी समाज क्रांतिकारी बदलावों के दौर से गुजर रहा था।

  • एलिजाबेथ कभी स्कूल नहीं गईं थीं। उनकी पढ़ाई घर पर ही हुई। उन्होंने कई भाषाएं सीखीं। एलिजाबेथ 21 अप्रैल 1926 को बर्कले में पैदा हुईं थीं। एलिजाबेथ के पिता ड्यूक ऑफ आर्क अल्बर्ट उस दौर के ब्रितानी राजा जार्च पंचम के दूसरे नंबर के बेटे थे। एलिजाबेथ अपने पिता की बड़ी बेटी थीं। उस दौर में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एलिजाबेथ महारानी बनेंगीं।

  • कैसे बनीं महारानी?
    ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम की 1936 में मौत हुई थी। उनकी मौत के बाद शाही गद्दी पर उनके बड़े बेटे डेविड बैठे थे। उन्होंने अपना शाही नाम एडवर्ड अष्टम रखा था, लेकिन अपने प्रेम प्रसंग के कारण एडवर्ड अष्टम को गद्दी छोड़नी पड़ी। एडवर्ड ने एक तलाकशुदा अमेरिकी महिला से शादी की थी जिसकी वजह से उनका भारी विरोध हुआ। एडवर्ड के बाद एलिजाबेथ के पिता अल्बर्ट हिचकते हुए राजगद्दी पर बैठे और इस तरह एलिजाबेथ के महारानी बनने का रास्ता भी तैयार हुआ।

  • जीवनसाथी से मुलाकात

    दूसरे विश्व युद्ध में टेरिटोरियल सर्विस में हिस्सा लेने वाली एलिजाबेथ विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद फिलिप से शादी करना चाहती थीं। कई अड़चनों के बाद 20 नवंबर 1947 को एलिजाबेथ की शादी फिलिप से हुई। 1948 में एलिजाबेथ को पहली औलाद प्रिंस चार्ल्स के रूप में मिली। दो साल बाद उनकी बेटी एना का जन्म हुआ।


  • ये वो दौर था जब हिटलर की ताकत बढ़ रही थी और अल्बर्ट देश का दौरा करके लोगों का राजशाही में भरोसा मजबूत कर रहे थे। एलिजाबेथ भी परिवार के साथ दौरे कर रहीं थीं। वो सिर्फ तेरह साल की थीं जब उनकी मुलाकात अपने भविष्य के पति फिलिप से हुई। फिलिप ग्रीस के राजकुमार थे। फिलिप और एलिजाबेथ की कई मुलाकातें हुईं और 1944 में दोनों प्यार में पड़ गए। एलिजाबेथ की फिलिप से नजदीकी किसी से छुपी नहीं थी।

  • पिता की मौत

    ये पहली बार था, जब दुनिया में बहुत से लोगों ने पहली बार टीवी पर लाइव प्रसारण देखा था। ये वो दौर था जब ब्रिटेन दूसरे विश्व युद्ध के बाद खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। खर्चों में कटौती हो रही थी और देश के सामने कई चुनौतियां थीं।


  • एलिजाबेथ अपने पति फिलिप के साथ अफ्रीका के दौरे पर थीं, जब उन्हें अपने पिता किंग अल्बर्ट की मौत की खबर मिली। ब्रिटेन लौटने के तुरंत बाद ही एलिजाबेथ को महारानी घोषित कर दिया गया था। महारानी घोषित किए जाने के सोलह महीने बाद जून 1953 में एलिजाबेथ का कोरोनेशन हुआ था, जिसका प्रसारण दुनियाभर में टीवी पर किया गया था।

  • ब्रिटेन की राजशाही का घटता रुतबा
    दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनियाभर में देश ब्रितानी शासन से आजाद हो रहे थे। भारतीय महाद्वीप सहित दुनिया के कई बड़े इलाके ब्रिटेन के हाथ से निकल गए। इससे ब्रिटेन की आर्थिक और राजनीतिक हैसियत भी घट रही थी। तीन सदियों से एक सुपरपॉवर रहा ब्रिटेन कमजोर हो रहा था।

    इस दौर में महारानी एलिजाबेथ ने कॉमनवेल्थ के जरिए ब्रिटेन के रुतबे को बरकरार रखने की कोशिश की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया। हालांकि, एलिजाबेथ की कोशिशों के बावजूद ब्रिटेन का पतन नहीं रुका।

    1956 में मिस्र ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण करके ब्रितानी साम्राज्य के सम्मान को चकनाचूर कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने स्वेज पर नियंत्रण बरकरार रखने के लिए सैन्य टुकड़ियां भी भेजीं, लेकिन फिर भी कुछ ना हो सका। निराश ब्रिटिश प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।

  • सीमित अधिकार
    ब्रिटेन की महारानी की भूमिका सांकेतिक ही ज्यादा थी। शाही परिवार को सम्मान तो बहुत प्राप्त है, लेकिन संवैधानिक अधिकार सीमित हैं। ब्रिटेन में सरकार प्रधानमंत्री चलाते हैं, वो महारानी को रिपोर्ट करते हैं, लेकिन महारानी सत्ता संचालन में बहुत दखल नहीं देती हैं।

  • पहली प्रधानमंत्री थैचर से तनावपूर्ण संबंध


  • 1979 में मार्गेरेट थैचर ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। थैचर और एलिजाबेथ के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे। एलिजाबेथ ब्रितानी कॉमनवेल्थ और अफ्रीका में निवेश को बढ़ाना चाहती थीं। थैचर इसके समर्थन में नहीं थीं।

  • महल में आग, खर्च पर सवाल
    1992 में शाही निवास विंडसर कासल में आग लग गई। इस घटना ने शाही परिवार के खर्चों पर सवाल खड़े कर दिए। देश दो धड़ों में बंट गया- एक का तर्क था कि शाही परिवार खुद मरम्मत का खर्च उठाए, तो दूसरे का कहना था कि टैक्स के पैसों से ये काम हो।

    मरम्मत का खर्च निकालने और शाही परिवार के खर्च पूरे करने के लिए बकिंघम पैलेस को आम जनता के लिए खोल दिया गया। एलिजाबेथ ने अपने और अपने बेटे प्रिंस चार्ल्स की आमदनी पर टैक्स देने की घोषणा भी कर दी।

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