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रूस पर अमेरिका ने जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, उसकी ड्राफ्टिंग दलीप सिंह ने ही की है। इधर, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी भारत आने की योजना बना रहे हैं। भारत रूसी वस्तुओं के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। रूस भी भारत का पुराना सहयोगी है, इसलिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में उसके खिलाफ वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था। वहीं, रूस से भारत की क्रूड ऑयल डील की चर्चा ने भी अमेरिका को परेशान कर रखा है।
भारत क्वॉड का सदस्य है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों को ऑस्ट्रेलिया और जापान ने तो लागू किया है, लेकिन भारत ने रूख अलग है। ऐसे में भारत को अपने पक्ष में लाने के लिए अमेरिका ने अपने डिप्टी NSA दलीप सिंह को भारत भेजने का निर्णय लिया था।
दलीप भारतीय मूल के हैं
46 साल के दलीप के परदादा दलीप सिंह सौंड अमेरिकी कॉन्ग्रेस में चुने गए पहले एशियाई थी। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड केनेडी स्कूल से अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन है। ओबामा प्रशासन के दौरान वह अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए ट्रेजरी के उप सहायक सचिव और वित्तीय बाजारों के लिए ट्रेजरी के कार्यवाहक सहायक सचिव थे। उनका भारतीय मूल का होने भी उन्हें भेजने की प्रमुख वजह हो सकती है।
अगले महीने वॉशिंगटन में राजनाथ और जयशंकर की 2+2 मीटिंग
भारत और अमेरिका के बीच 11 अप्रैल को वाशिंगटन में 2+2 मीटिंग होगी। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका में अपने समकक्ष विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात करेंगे।
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