Home Politics News Promotion me aarakshan sambhav me sharton ke saath : Adaalat | प्रमोशन में आरक्षण संभव पर शर्तों के साथ : अदालत

Promotion me aarakshan sambhav me sharton ke saath : Adaalat | प्रमोशन में आरक्षण संभव पर शर्तों के साथ : अदालत

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (एससी, एसटी) वर्ग के लोगों को प्रोन्नति (प्रमोशन) में आरक्षण दिया जा सकता है, लेकिन ये आरक्षण सेवा में पोस्ट/पद विशेष के लिए होगा। पूरी सेवा या वर्ग या समूह के लिए नहीं। मतलब यह कि प्रोन्नति में आरक्षण मिलेगा, लेकिन उसे देने के नियम जो एम. नगराज फैसले में तय किए थे उनमें कोई ढिलाई नहीं होगी।

मानदंड तय करने से अदालत का इनकार : जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए कोई मानदंड तय करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि सरकार को आरक्षित वर्ग विशेष के पिछड़ेपन के मात्रात्मक आंकड़े जुटाने ही होंगे और इन आंकड़ों के आधार पर ही प्रोन्नति में आरक्षण दिया जा सकेगा।

अवसर पद के हिसाब से तय किया जाएगा : सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आरक्षित वर्ग का उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व कितना है और कितना नहीं यह पोस्ट/पदों के हिसाब से तय होगा। यह नहीं कि पूरी सेवा/वर्ग और समूह में उसका प्रतिनिधित्व देखा जाए।

केंद्र सरकार तय करे: अदालत ने कहा कि बीके पवित्रा-2 फैसले में जो कहा गया है कि पूरी सेवा/काडर में समुचित पिछड़ेपन का प्रतिनिधित्व देखा जाएगा, वह गलत है। यह एम नगराज फैसले (2006) के विरुद्ध है। न्यायालय ने कहा कि हम इस मुद्दे पर नहीं जा रहे हैं कि प्रतिनिधित्व कितना होगा, कैसे निर्धारित किया जाएगा और उसके मापदंड क्या होंगे, उसकी पर्याप्तता/ समुचितता कैसे आंकलित या तय की जाएगी। यह केंद्र सरकार का काम है और सरकार प्रतिनिधित्व पर्याप्तता देखने के लिए आवधिक रूप से इसकी समीक्षा करेगी। समीक्षा की अवधि मुनासिब और तार्किक रखी जाएगी। राज्य सरकारें एससी/एसटी के प्रतिनिधित्व में कमी के आंकड़े एकत्र करने के लिए बाध्य हैं।

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