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शेयर बाजार में जारी गिरावट से जल्दी राहत मिलने के आसार नहीं हैं। हाल की गिरावट से निफ्टी-50 के हाई वैल्यूएशन में तो कमी आई है, लेकिन निफ्टी-500 में अब भी कई स्टॉक ऐसे हैं जो मार्च-2020 की बड़ी गिरावट के स्तर से भी औसतन साढ़े चार गुना महंगे हैं। आने वाले समय में इन स्टॉक्स में गिरावट का खतरा मंडरा रहा है।
HDFC सिक्युरिटीज की रिटेल रिसर्च के मुताबिक, निफ्टी-50 का पीई रेश्यो मार्च-21 में 36.1 था, जो अब घटकर 20.4 रह गया है। हालांकि, मार्च-20 की तुलना में यह अब भी दोगुना (109.9%) है। इसके उलट, निफ्टी-50 के 175 स्टॉक ऐसे हैं, जो अपने मार्च 2020 के निचले स्तर से औसतन 368% ऊपर चल रहे हैं। इन स्टॉक में गिरावट की काफी गुंजाइश है।
दूसरा बड़ा खतरा विदेशी निवेशकों की बिकवाली है। अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों, कमजोर रुपए और वैश्विक मंदी के चलते विदेशी निवेशकों की निकासी मार्च-2020 से भी अधिक हो सकती है। एफपीआई ने अक्टूबर-21 के बाद से अभी तक 2.36 लाख करोड़ की निकासी की है, लेकिन यह उनकी होल्डिंग्स का महज 4.55% ही है। ऐसे में निवेशकों को उन स्टॉक्स से बचना चाहिए जिनमें अब भी एफपीआई की बड़ी हिस्सेदारी बाकी है।
ऐसे माहौल में क्या करें निवेशक?
1. पूरी तरह निवेशित हैं
जो अभी भी पूरी तरह निवेशित हैं, उन्हें अपने एसेट एलोकेशन और पोर्टफोलियो की समीक्षा करके उसे रीबैलेंस करना चाहिए। बीच-बीच में आने वाली उछाल में बिकवाली कर नकदी सुरक्षित रखें, ताकि कुछ महीने बाद जब बाजार निचले स्तर पर पहुंच जाए तो खरीदारी कर सकें।
2. प्रॉफिट बुक कर चुके
उनके लिए यह मौका है कि वे धीरे-धीरे अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी की मात्रा बढ़ा लें। ऐसे शेयरों से बचें जिनका वैल्यूएशन बहुत हाई है या जिनका वित्तीय पूर्वानुमान बहुत अधिक है। कमोडिटी में तेजी के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयरों की भी स्थिर आय के लिए बारीकी से जांच करें।
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