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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि ‘रूस और ब्राजील को छोड़कर आज लगभग हर देश में ब्याज दरें निगेटिव हैं।’ ब्याज दरों के निगेटिव होने का मतलब है कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर आपको महंगाई की दर से कम ब्याज मिलना। इसे निगेटिव रिटर्न भी कहा जाता है।
निगेटिव रिटर्न का सीधा असर आपके फाइनेंशियल गोल पर पड़ता है। ऐसे में फाइनेंशियल प्लानर की सलाह माने तो निवेशकों को पैसा ऐसी जगह लगाना चाहिए जहां महंगाई से ज्यादा रिटर्न मिल रहा हो। हम आपको निगेटिव रिटर्न क्या है? और इससे किस तरह बचा जा सकता है? ये बता रहे हैं…
सबसे पहले समझें निगेटिव रिटर्न क्या होता है?
जब आपको अपने निवेश पर महंगाई दर की तुलना में कम रिटर्न मिलता है तो इसे ही निगेटिव रिटर्न कहा जाता है। मान लीजिए आपने किसी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कराई है, जिस पर आपको 5% का सालाना रिटर्न मिल रहा है, लेकिन रिटेल महंगाई दर 8% के करीब है। यानी महंगाई दर की तुलना में आपको अपने निवेश पर 3% कम रिटर्न मिल रहा है।
निगेटिव रिटर्न से कम होती है पैसे की वैल्यू
मान लीजिए आपने कहीं 100 रुपए निवेश किए हैं जहां से आपको 5% रिटर्न मिलना है। ऐसे में अगर महंगाई दर 8% है तो आपके पैसे की वैल्यू सालाना तौर पर 3% घट जाएगी। यानी आपके 100 रुपए की वैल्यू 97 रुपए की रह जाएगी।
उदाहरण से समझें: अभी महंगाई दर 8% के करीब है। यानी जो वस्तु अभी 100 रुपए की है 1 साल बाद वो 108 रुपए की हो जाएगी। अगर आपको निवेश पर 5% रिटर्न मिलता है तो आपके 100 रुपए 1 साल बाद 105 रुपए ही हो पाएंगे। यानी आप 3 रुपए के नुकसान में रहेंगे।
रूल ऑफ 70 आपको निगेटिव रिटर्न से बचने में करेगा मदद
इस नियम के अनुसार 70 को मौजूदा महंगाई दर से भाग देकर ये पता कर सकते हैं कि आपके निवेश का मूल्य कितनी तेजी से घटकर आधा रह जाएगा। उदाहरण के लिए जैसे अभी महंगाई दर 8% है तो आपके पैसे का मूल्य करीब 8 साल 10 महीने में घटकर आधा रह जाएगा। यानी अगर आप अपने 100 रुपए की वैल्यू 100 रुपए बनाए रखना चाहते हैं तो आपको कहीं ऐसी जगह निवेश करना होगा जहां से आपको सालाना 8% रिटर्न मिले।
निगेटिव रिटर्न से बचने के लिए कहां करें निवेश?
बैंक और पोस्ट ऑफिस में कोई ऐसी स्कीम नहीं है जो आपको 8% का रिटर्न दे सके। ऐसे में अगर आप थोड़ा रिस्क ले सकते हैं तो म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम्स या स्टॉक मार्केट में सीधे निवेश कर सकते हैं।
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