Home Daily News Na masjid bachi, na madrse, na hi ghar aur fasal, pakistan me macha tabahi | न मस्जिदें बचीं, न मदरसे, न ही मकान और फसलें, पाकिस्तान में नदियां शांत हुईं तो दिखे तबाही के निशान

Na masjid bachi, na madrse, na hi ghar aur fasal, pakistan me macha tabahi | न मस्जिदें बचीं, न मदरसे, न ही मकान और फसलें, पाकिस्तान में नदियां शांत हुईं तो दिखे तबाही के निशान

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Pakistan Crisis: पाकिस्तान में बाढ़ अब शांत है. इसके शांत होने के बाद वहां पर तबाही के निशान दिखने लगे हैं. न तो मस्जिद मदरसे बचे हैं और न ही मकान और फसलें, लोग सड़कों पर खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं.

Pakistan Situation: पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) में नदियां तो शांत हो गई हैं लेकिन मुसीबतें कम नहीं हुई. लगभग पूरा सिंध प्रांत (Sindh Province) अब भी पानी में डूबा है और बाढ़ (Flood) में फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) जारी है. पाकिस्तान पर ऐसी आसमानी आफत आई कि एक तिहाई देश ही कहर के आगे सरेंडर (Surrender) कर गया.

शहर-शहर समंदर में बदल गए जबकि गांव-गांव दरिया बन गए. सिंध प्रांत में सिंध नदी के तांडव के आगे पूरा पाकिस्तान कराहने लगा और जब हालात कुछ बेहतर हुए तो हर तरफ तबाही की निशानियां बिखरी पड़ी मिलीं. सरकारी नाव बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत का सामान लेकर नदी किनारे पहुंची. राहत का सामान लेने के लिए लोगों का हुजूम टूट पड़ा. इसी बीच एक बुजुर्ग आगे बढ़े और नाव से सामान से भरी बोरी लेने के लिए पानी में घुस गए, लेकिन किस्मत देखिए…नाव पीछे चली गई और वो बुजुर्ग पानी में छटपटाता रहा.

खुले आसमान के नीचे डेरा डाले लोग

वहीं एक दूसरी जगह पर राहत के काम में लगे जवानों ने कुछ लोगों का राहत का सामान दिया. सिंध प्रांत के कई गांव पूरी तरह पानी में समाए हैं और वहां के लोग कई दिनों से खुले आसमान के नीचे सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं, उनके पास खाने-पीने का सामान तक नहीं है. किसी तरह कपड़ों का टेंट बनाकर अपनों बच्चों की हिफाजत करती ऐसा महिलाएं हर तरफ देखने को मिल जाएंगी. ना मस्जिदें बचीं ना मदरसे और ना ही मकान और फसलें, तबाही इतनी बड़ी आई कि सबकुछ नेस्तनाबूद हो गया.

सरकार ने भी खड़े किए हाथ

राजनीतिक (Political) और आर्थिक (Economical) तौर पर सबसे बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान (Pakistan) ने मदद के लिए हर तरफ हाथ फैलाया है और मदद (Help) भी की जा रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि बाढ़ प्रभाविक इलाकों (Flood Effected Area) से पानी निकलने में तीन से चार महीने भी लग सकते हैं, तब तक इन लोगों का क्या होगा, कोई नहीं जानता, क्योंकि वहां की सरकार हाथ खड़े कर चुकी है.

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