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चावल और दालों के भाव में तेजी के आसार हैं। बीते साल के मुकाबले कम खेती इसकी सबसे बड़ी वजह होगी। जुलाई के पहले पखवाड़े तक सिर्फ धान और अरहर का रकबा घटा है, जबकि अन्य सभी फसलों की बुआई बढ़ी है। इसके अलावा यूक्रेन संकट के चलते ज्यादातर कृषि जिंसों में उछाल के बाद गिरावट के बीच सिर्फ चावल और दालों में स्थिरता देखी गई है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 15 जुलाई तक धान के रकबे में 17.4% गिरावट आई है। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में अब तक धान के रकबे में बीते साल के मुकाबले 31% तक की कमी देखी गई है। चावल के अलावा दालों का रुझान भी पलट सकता है। इस माह से इसमें तेजी शुरू भी हो गई है। ऑल टाइम हाई से 52% गिरावट देखने वाले अरहर में 2022 के ऊंचे स्तर से अब तक 6.5% तेजी आ चुकी है। खरीफ में सबसे ज्यादा बोई जाने वाली दलहन अरहर का रकबा अब तक 26% कम रहा है।
2021-22 में लगातार तीसरे साल घटी चावल की सरकारी खरीद
2021-22 के रबी सीजन में चावल की सरकारी खरीद करीब 44 लाख टन हुई। इसके मुकाबले 2020-21 के रबी में 66 लाख टन और 2019-20 में 80 लाख टन चावल की खरीद हुई थी। इसके चलते इस बात की संभावना कम है कि इस साल चावल की कुल खरीद 2020-21 के लेवल यानी 135 लाख टन तक पहुंच पाएगी।
बीते साल भी कम हुआ था धान का उत्पादन, भाव को सपोर्ट
ओरिगो कमोडिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजीव यादव ने कहा कि बीते साल भी चावल का उत्पादन घटा था। बीते कुछ महीनों से दुनियाभर में सप्लाई की किल्लत से चावल को सपोर्ट मिल रहा है। बूंदी मार्केट में 1121 सेला सफेद चावल निकट भविष्य में 9,000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है जो अभी 8,600 रुपए प्रति क्विंटल है।
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