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नड्डा बोले- पिता अध्यक्ष और बेटा जनरल सेक्रेटरी, परिवारवाद की यह पॉलिसी भाजपा में नहीं चलेगी
नड्डा ने समझाई परिवारवाद की परिभाषा
भोपाल में नड्डा ने कहा कि हमें परिवारवाद के कंसेप्ट को समझना होगा। हमारा मानना है कि पिता अध्यक्ष, बेटा जनरल सेक्रेटरी। पार्लियामेंट्री बोर्ड में चाचा-ताया-ताई। यह परिवारवाद है।
परिवारवाद की पार्टियों में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू कश्मीर), लोकदल (हरियाणा), शिरोमणि अकाली दल (पंजाब), समाजवादी पार्टी (उत्तरप्रदेश), राष्ट्रीय जनता दल (बिहार), टीएमसी (पश्चिम बंगाल), डीएमके (तमिलनाडु), कर्नाटक में कुमार स्वामी की पार्टी, महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी हैं। ये सब परिवारवाद के रिप्रेजेंटेटिव हैं। इनकी कोशिश पिता के बाद बेटे के जगह लेने की होती है। भाजपा अपनी पॉलिसी में ऐसा नहीं करेगी।
अफसर सीधे CM से क्यों मिलते हैं?
कार्यक्रम के बाद नड्डा ने पार्टी दफ्तर में करीब आधा घंटे मंत्रियों से भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि अफसर सीधे मुख्यमंत्री से क्यों मिलते हैं। कोई भी बात या विषय मंत्रियों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक जाना चाहिए। अफसर क्यों? यह परंपरा ठीक नहीं है। मंत्री की कमजोरी इससे दिखाई देती है।
नड्डा ने कहा कि मंत्री समीक्षा करें, बैठकें करें और अफसरों से बात करें। कैबिनेट बैठक के दौरान भी विषयों पर चर्चा होनी चाहिए। मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच गैप का फायदा अफसर उठाते हैं।
शिवराज सरकार की तारीफ
कश्मीर : नड्डा बोले- जम्मू-कश्मीर पर कोई चुप नहीं है। केंद्र सरकार एक्शन में है। गोली शांत नहीं होती कि उसे चलाने वाले को शांत कर देते हैं। स्थानीय चुनाव शांति से हो गए, जिससे वहां के नेताओं का फ्रस्टेशन सामने आने लगा है।
सरकार-संगठन : विस चुनाव सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जोड़ी के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे। शिवराज के नेतृत्व में अच्छी सरकार चल रही है। हम हर बार पेड़ उखाड़कर क्यों देखते हैं।
सोनिया-राहुल : इनका चेहरा गड़बड़ है और वे आईना साफ कर रहे हैं। कभी आपने देखा कि कोई मुजरिम बोले कि मैं बेईमान हूं। राहुल गांधी न तो इंडियन, न नेशनल, न कांग्रेस के रह गए हैं।
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