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Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, ‘एक जनवरी, 2019 के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन हो रहा है और इसलिए हम मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं.
Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बुधवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है. जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जा रहा है.
उन्होंने 25 नवंबर तक मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन को पूरा करने के लिए चल रही कवायद को एक ‘चुनौतीपूर्ण कार्य’ बताया. हृदेश कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया को समय पर पूरा करने का यह व्यापक अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है कि एक अक्टूबर, 2022 या उससे पहले 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले सभी पात्र मतदाताओं का पंजीकरण कर उन्हें ‘त्रुटि-मुक्त’ अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाए.
निर्वाचन आयोग द्वारा हाल ही में जारी पुनर्निर्धारित समय-सीमा के अनुसार एक एकीकृत मतदाता सूची का मसौदा 15 सितंबर को प्रकाशित किया जाएगा. जबकि सूची को लेकर दावा और आपत्ति दर्ज कराने की अवधि 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच निर्धारित की गई है. इसके बाद 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले 19 नवंबर को मानदंडों की जांच और अंतिम प्रकाशन और डेटाबेस को अद्यतन करने तथा पूरक की छपाई के लिए आयोग की अनुमति प्राप्त करना तय किया गया है.
पहली बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन
जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, ‘एक जनवरी, 2019 के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन हो रहा है और इसलिए हम मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, इस तथ्य को देखते हुए कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में युवाओं ने 18 या 18 वर्ष से अधिक की आयु प्राप्त कर ली है.’
हृदेश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद बहुत से लोग जो मतदाता के रूप में सूचीबद्ध नहीं थे, वे अब मतदान करने के पात्र हैं और इसके अलावा जो कोई भी सामान्य रूप से रह रहा है, वह भी जन अधिनियम के प्रतिनिधित्व के प्रावधानों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में मतदाता के रूप में सूचीबद्ध होने के अवसर का लाभ उठा सकता है.’
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 18 वर्ष से अधिक आयु के करीब 98 लाख लोग हैं, जबकि अंतिम मतदाता सूची के अनुसार सूचीबद्ध मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है. कुमार ने कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू-कश्मीर का अधिवास प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है. उन्होंने कहा कि 600 मतदान केंद्र जोड़े गए हैं और अब जम्मू-कश्मीर में कुल मतदान केंद्रों की संख्या 11,370 हो गई है.
नए मतदाताओं के लिए विशेष शिविर
कुमार ने कहा कि आयोग घर-घर जाकर प्रचार करने की योजना बना रहा है और योग्य मतदाताओं की जागरूकता के लिए शैक्षणिक संस्थानों में विशेष शिविर भी आयोजित करने की योजना बना रहा है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आधार संख्या को मतदाता सूची के आंकड़ों से जोड़ने के लिए संशोधित पंजीकरण प्रपत्रों में प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं की पहचान स्थापित करना और मतदाता सूची में प्रविष्टियों का प्रमाणीकरण करना है.
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग नए मतदाता पहचान पत्र जारी करेगा जिसमें नयी सुरक्षा विशेषताएं होंगी. घाटी के बाहर रहने वाले कश्मीरी प्रवासियों के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसी विस्थापित आबादी के लिए पहले से ही एक विशेष प्रावधान है ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें. हृदेश कुमार ने कहा, ‘ कश्मीरी पंडित प्रवासी अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं. नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए दिल्ली, जम्मू और उधमपुर सहित विभिन्न स्थानों पर उनके लिए विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और उन सभी को मतदाता पहचान पत्र दिए जाएंगे.’ उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को मतदाता सूची में शामिल करने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया.
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