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स्टार्टअप कंपनियों के IPO ने पहुंचाया निवेशकों को सबसे ज्यादा नुकसान
चालू वित्त वर्ष प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों यानी IPO के लिए ऐतिहासिक साल साबित हुआ। इस दौरान 50 कंपनियों ने 1.15 लाख करोड़ रुपए प्राइमरी मार्केट से जुटाए। हालांकि, इस दौरान निवेशक उतने सौभाग्यशाली नहीं रहे और उन्हें इनमें से तीन चौथाई IPO में तगड़ा चूना लग गया।
प्राइम डेटाबेस से मिले आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल आए 50 IPO में से 36 कंपनियों के शेयर इस समय लिस्टिंग प्राइज से नीचे चल रहे हैं। यानी जिन निवेशकों ने लिस्टिंग के समय इन शेयरों में पैसा लगाया वे नुकसान में हैं। इन 36 में से 22 कंपनियां तो ऐसी हैं, जिनके शेयर अपने इश्यू प्राइज से भी नीचे चल रहे हैं।
पिछले साल आए ज्यादातर IPO ओवर प्राइस्ड
अल्टामाउंट कैपिटल मैनेजमेंट के डायरेक्टर प्रकाश दीवान के मुताबिक, पिछले साल आए ज्यादातर IPO ओवर प्राइस्ड थे। बाजार में तेजी हो तो लालच के चलते ऐसे इश्यू भी ओवर सब्सक्राइब हो जाते हैं। ऐसे में करेक्शन वाले दौर में इनकी हालत खराब होनी ही थी।
अभी जो शेयर लिस्टिंग प्राइस या इश्यू प्राइस से नीचे हैं, उनमें से अधिकांश पेटीएम और जोमैटो जैसी न्यू इकोनॉमी कंपनियां हैं। ये अब तक मुनाफे में नहीं आए हैं। अभी जैसे चुनौतीपूर्ण हालात में ऐसे शेयरों की हालत खराब होती ही है।
पेटीएम और कारट्रेड ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया
आंकड़े भी बताते हैं, जिन कंपनियों के IPO में निवेशकों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, उनमें से ज्यादातर फिनटेक स्टार्टअप के हैं। पेटीएम और कारट्रेड ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, इस दौर में कुछ IPO ऐसे भी रहे जिनमें निवेशकों को 300% तक मुनाफा हुआ। पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक, तत्व चिंतन फार्मा, क्लीन साइंस एंड टेक और मैक्रोटेक डेवलपर्स ने निवेशकों की झोली भर दी।
मर्चेंट बैंकरों की भी कारस्तानी से बढ़ी गफलत
एलकेपी सिक्युरिटीज के रिसर्च हेड एस. रंगनाथन ने कहा कि बीते साल आए आईपीओ में से ज्यादातर के मर्चेंट बैंकरों ने बड़ी चालाकी से कंपनी की वैल्यू की जगह स्टोरी बताई थी। इनके प्रभाव में आकर निवेशकों ने पीई रेश्यो और प्राइस-टू-बुक जैसे मानदंड दरकिनार किए और अब इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।
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