Home Daily News Gyanvapi mosque par hearing district court karegi | ज्ञानवापी पर सुनवाई जिला अदालत करेगी

Gyanvapi mosque par hearing district court karegi | ज्ञानवापी पर सुनवाई जिला अदालत करेगी

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामला संवेदनशील इसलिए वरिष्ठ जज देखेंगे

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि ज्ञानवापी मसले की सुनवाई अब जिला अदालत करेगी। अब तक सिविल जज सीनियर डिवीजन के पास यह प्रकरण लंबित था। हिंदू पक्षकारों ने दावा किया है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने भगवान विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर ज्ञानवापी मस्जिद बना दी।

अर्जियां स्थानांतरित:जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, इसकी जटिलताओं और संवेदनशीलता को देखते हुए हमारा मानना है कि मामला अनुभवी न्यायिक अधिकारी द्वारा देखा जाए। इसलिए हम आदेश देते हैं कि इसे जिला जज के यहां भेजा जाए और इसके साथ ही सभी अर्जियां भी वहीं स्थानांतरित कर दी जाएं।

सिविल जज पर आक्षेप नहीं:कोर्ट ने कहा, यह आदेश देकर हम सिविल जज सीनियर डिविजन पर आक्षेप नहीं लगा रहे। हम चाहते हैं मामला अनुभवी जज के पास जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जिला जज इस मामले में दायर मस्जिद प्रबंधन कमेटी की आदेश 7 नियम 11 के तहत सूट खारिज करने की अर्जी को प्राथमिकता के आधार पर निर्णय करें।

शिवलिंग क्षेत्र सुरक्षित रहेगा : पीठ ने कहा, शिवलिंग मिलने के दावे वाली जगह को सुरक्षित रखने का अंतरिम आदेश अगले आठ हफ्ते तक और प्रभावी रहेगा। जिला जज सभी पक्षों से परामर्श कर वजू के लिए पर्याप्त प्रबंध करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को आदेश दिया था कि सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा शिवलिंग मिला होने के स्थान को संरक्षित करने का 16 मई का आदेश नमाज पढ़ने और धार्मिक रस्में करने के क्रम में बाधा पैदा नहीं करेगा।

विरोध नहीं माना: मुस्लिम पक्ष ने मामला जिला जज को भेजने के आदेश का विरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे दरकिनार कर दिया। कहा कि पहले वाद की विचारणीयता का फैसला होने दीजिए, उसके बाद आप कानून के अनुसार अन्य राहत ले सकते हैं। वाद की विचारणीयता/खारिज करने की अर्जी मुस्लिम पक्ष ने ही दी है। यदि इस अर्जी पर फैसला मुस्लिम पक्षकारों के पक्ष में आता है तो भी आदेश निरस्त हो जाएंगे। यदि नहीं तो उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और हाईकोर्ट के बाद अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दे सकते हैं।

कानून नहीं रोकता

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