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कोलकाता : गुरुवार को उत्तर बंगाल में अलीपुरदुआर डिविजन के न्यू जलपाईगुड़ी-न्यू कूचबिहार सेक्शन में बीकानेर – गुवाहाटी एक्सप्रेस मयनागुड़ी में पटरी से उतर गयी। इसके बाद ट्रेन के कोच की हालत खस्ता हो गयी। ऐसा इसलिए कि उक्त एक्सप्रेस ट्रेन में साधाहरण कोच का इस्तेमाल किया गया था। अर्थात रेलवे के अधिकारी एकलव्य चक्रवर्ती ने बताया कि इसमें आईसीएफ कोच थे। वहीं आज के दौर में भारतीय रेलवे अपने ट्रेनों में एलएचबी कोच का इस्तेमाल अधिक कर रहा है। आखिरकार आईसीएफ व एलएचबी कोच के बीच में क्या अंतर होता है। एलएचबी रेलवे यात्रियों की यात्रा काफी सुरक्षित होती है और इनमें दुर्घटना होने की आशंका कम रहती है। वहीं कोच की जांच करने के लिए आज यानी शुक्रवार को रेलवे सेफ्टी बोर्ड के सदस्य आयेंगे।
आईसीएफ : इंटेग्रल कोच फैक्टरी तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है। इसकी स्थापना 1952 में की गई थी। ये फैक्ट्री इंडियन रेलवे के अधीन काम करती है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में हर तरह के इंटीग्रल कोच बनाए जाते है जिनमें जनरल, एसी, स्लीपर, डेमू और मेमू कोच शामिल हैं।
एलएचबी : लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला में है। भारत में इन कोच को जर्मनी से लाया गया ह। एलएचबी कोच का प्रयोगएलएचबी कोच का प्रयोग तेज गति वाली ट्रेनों में किया जाता हैं देश की सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस में इन्हीं कोच का प्रयोग किया जाता है। बता दें, एलएचबी कोच को फास्ट स्पीड ट्रेन के लिए ही डिजाइन किया गया है। इनमें क्षमता होती है कि ये 160 से 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड में दौड़ सके।