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नई दिल्ली। राजधानी में बिजली के तार, फाइबर केबल और पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़कों को खोदकर महीनों तक जर्जर हालत में छोड़ दिया जाता है। इससे न सिर्फ आवजाही में परेशानी होती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है। इसके खिलाफ छह स्कूली बच्चियों ने उच्च न्यायालय में अपनी आवाज बुलंद की है। उनकी गुहार के बाद सड़कों के गड्ढे भरने का कोर्ट ने निर्देश दिया।
बच्चियों ने न्यायालय से कहा कि सड़क खोदकर महीनों तक जर्जर स्थिति में छोड़े जाने से न सिर्फ उन्हें, बल्कि अन्य स्कूली सहपाठियों और आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे प्रदूषण को भी बढ़ावा मिल रहा है।
इन बच्चियों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा है कि सड़कों पर बिजली या फाइबर केबल और पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा होने के तुरंत बाद गड्ढे भरे जाएं, ताकि लोगों को दिक्कत न हो।
पीठ ने क्या कहा : कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले की तस्वीरों से साफ है कि सड़क पर गड्ढे और धूल भरी है। खासकर उस हिस्से में जहां बिजली की केबल डाली गई है। पीठ ने लोक निर्माण विभाग को तुरंत सड़क ठीक करने का काम शुरू करने का आदेश दिया है। पीठ ने लापरवाही बरते जाने पर कार्रवाई की बात कही है।
रिपोर्ट पेश करें : पीठ ने सरकार को अगली सुनवाई से पहले स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। बच्चियों की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर महापात्रा और अमित गुप्ता ने पीठ को बताया कि 420 केवी तुगलकाबाद सब-स्टेशन से 22केवी मस्जिद मोठ सबस्टेशन की सड़क तक दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड ने तार डालने के लिए जनवरी/फरवरी 2022 में सड़क खोद दी थी। केबल डालने का काम पूरा होने के बाद भी सड़क जर्जर हालात में छोड़ दी गई है।