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क्रूड ऑयल में भारी उतार चढ़ाव के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर वित्त मंत्रालय का बयान सामने आया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि सरकार जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट पर कड़ी नजर रख रही है और जब भी आम आदमी के हितों की रक्षा की बात आएगी तो ईंधन की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए ‘कैलिब्रेटेड इंटरवेंशन’ (सोच-विचार कर हस्तक्षेप) करेगी।
पंकज चौधरी से राज्यसभा में सवाल किया गया था कि क्या सरकार यूक्रेन संकट के कारण ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी को कंट्रोल में रखने के लिए कस्टम ड्यूटी में कटौती करेगी? चौधरी ने ये भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर फैसला लेती हैं। ये इंटरनेशल प्रोडक्ट प्राइस, एक्सचेंज रेट, टैक्स स्ट्रक्चर और अन्य चीजों पर निर्भर करता है। ऐसी खबरें थी कि क्रूड के दाम बढ़ने के कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 20-25 रुपए का इजाफा हो सकता है।
रूस-यूक्रेन जंग से बढ़े क्रूड के दाम
24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूस के आक्रामण के बाद क्रूड ऑयल की कीमत 14 साल के उच्चतम स्तर 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई थी। हालांकि अब कीमते दोबारा 100 डॉलर से नीचे आ गई है। रूस के आक्रामण के कारण कई पश्चिमी देशों ने उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए है। इसी वजह से क्रूड की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता है और दामों में इतना उतार-चढ़ाव दिख रहा है।
भारत 85% कच्चा तेल करता है आयात
भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल इंपोर्ट करता है। इसकी कीमत डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल, यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।
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