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FATF Grey List: पाकिस्तान को राहत, FATF की ग्रे लिस्ट से आया बाहर

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Grey List: पाकिस्तान के एफटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर उसकी मुश्किलें कम हो सकती हैं, लेकिन यह देखना होगा कि उसे वित्तीय मदद देने वाले देश, आईएमएफ और एशियाई विकास बैंक इससे कितने संतुष्ट होंगे.

Pakistan Out Of FATF Grey List: आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन पर वैश्विक निगरानी संस्था यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से शुक्रवार (21 अक्टूबर) को बाहर कर दिया है. अब पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेशी पैसे प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है. 

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था. एफएटीएफ ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी लिस्ट में डाला था. जून तक पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा कर लिया था. 

क्यों ग्रे लिस्ट में था पाकिस्तान

पाकिस्तान के कुछ बिंदु अधूरे रह गये थे, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (JEM) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (LET) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफलता शामिल थी. अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल होने के लिए मोस्ट वाटेंड आतंकवादी है. इनमें मुंबई में आतंकवादी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की बस पर हमला शामिल है.

ऐसे पाकिस्तान हुआ ग्रे लिस्ट से बाहर

मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर पेरिस स्थित वैश्विक निगरानीकर्ता ने कहा था, ‘‘सिंगापुर के टी राजा कुमार की अध्यक्षता के तहत एफएटीएफ की पहली बैठक 20-21 अक्टूबर को होगी.’ ’पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना के तहत इन कमियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धताएं जताई है. बाद में इन कार्रवाई बिंदुओं की संख्या बढ़ाकर 34 कर दी गई. पाकिस्तान को ‘‘ग्रे लिस्ट’’ से बाहर निकलने और ‘‘व्हाइट लिस्ट’’ में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए थे. ‘‘ब्लैक लिस्ट’’ से बचने के लिए तीन देशों के समर्थन की जरूरत थी. पाकिस्तान के निगरानी सूची में बने रहने से इस्लामाबाद के लिए आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता पाना कठिन हो गया था. 

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