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सरकार ने सभी विभागीय अधिकारियों से इसे ध्यान में रखकर बजट तैयार करने के लिए कहा है। स्वराज बजट के तहत इस बार दिल्ली की जनता से भी इन्हीं विषयों पर 15 फरवरी तक सुझाव मांगे गए हैं।
राजस्व में कमी आई : दरअसल, कोविड महामारी के चलते दिल्ली में बीते दो साल से लग रही पाबंदियों के चलते कारोबार प्रभावित हुआ है। इसके चलते लोग बेरोजगार भी हुए हैं और व्यापार भी बंद हुआ है। इसका असर है दिल्ली के राजस्व में भी कमी आई है। दो साल से राजस्व में गिरावट भी जारी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में दो कोविड लहर के चलते इस बार भी सरकार को उम्मीद से कम राजस्व मिला है। इसलिए सरकार अब कर राजस्व के अलावा गैर कर राजस्व पर भी इस बजट में फोकस करेगी, जिससे सरकार की आमदनी बढ़ाई जाए। सरकार के राजस्व में कमी का असर क्या समाज कल्याण की योजनाओं पर पड़ेगा, इसपर सरकार ने फिलहाल इंकार किया है।
सरकार का कहना है कि जनहित में चल रही योजनाएं चालू रहेंगी। उसके साथ हम कैसे रोजगार, व्यापार को बढ़ाएं जिससे सरकार का भी राजस्व बढ़े, बजट में इसका प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा सरकार का दूसरा फोकस पर्यावरण पर रहेगा। इसमें सिर्फ प्रदूषण के कारक ही नहीं बल्कि ई-बसों की संख्या बढ़ाने, ई-मोबिलिटी को बढ़ाने की दिशा में भी बजट में कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।