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Monthly Economic Review By Finance Ministry: वित्त मंत्रालय की शुक्रवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2022-23 के लिये भारत का वृद्धि परिदृश्य अब भी ऊंचा बना हुआ है.
Monthly Economic Review By Finance Ministry: सरकार के नीतिगत और भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति उपायों से देश चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि, महंगाई दर और वैश्विक स्तर पर संतुलन के मामले में दो महीने पहले के मुकाबले बेहतर स्थिति में है. वित्त मंत्रालय की शुक्रवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है.
रिपोर्ट में जारी किया गया महंगाई दर में कमी आने का अनुमान
समीक्षा में कीमत स्थिति के बारे में कहा कि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के दाम में नरमी के साथ केंद्रीय बैंक के नीतिगत कदम अैर सरकार की राजकोषीय नीतियों से आने वाले महीनों में महंगाई दर को लेकर दबाव पर अंकुश लगेगा. इसमें कहा गया है कि भारत में महंगाई दर दबाव में नरमी आने की संभावना है. इसका कारण लौह अयस्क, तांबा और टिन जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल की कीमतों का जुलाई, 2022 में नीचे आना है. ये सामान घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रिया के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. रिटेल महंगाई दर जुलाई, 2022 में नरम होकर 6.7 फीसदी पर आ गई है, जो इससे पिछले महीने में 7.01 फीसदी पर थी.
IMF ने जारी किया है भारत की आर्थिक विकास दर तेज रहने का अनुमान
वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. यह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है. आरबीआई ने वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी रहने का अनुमान रखा है.
GST कलेक्शन बढ़ने का उल्लेख
जीएसटी संग्रह, पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स), ई-वे बिल जैसे कुछ प्रमुख आंकड़ें 2022-23 के पहले चार महीनों में आईएमएफ के अनुमान के अनुरूप हैं.
आईआईपी के मजबूत आंकड़े
समीक्षा के मुताबिक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और आठ बुनियादी उद्योगों का प्रदर्शन औद्योगिकी गतिविधियों में मजबूती का संकेत देता है. वहीं पीएमआई मैन्यूफैक्चरिंग जुलाई में आठ महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गया. यह नये कारोबार और उत्पादन में वृद्धि को दर्शाता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध का भी उल्लेख
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, बाह्य मोर्चे पर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ी है. इससे पूंजी निकासी हुई. यह स्थिति न केवल भारत में है बल्कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में भी देखने को मिली.
करेंसी के मुद्दे पर रिपोर्ट में ये है
भारत के अलावा अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की विनिमय दर में भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इस साल जनवरी से जुलाई के दौरान गिरावट देखी गयी. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं से इस दौरान 48 अरब डॉलर निकाले.
ग्लोबल इंवेस्टर्स का भरोसा भारत पर बरकरार
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के आर्थिक परिदृश्य में वैश्विक निवेशकों का विश्वास बना हुआ है. इसका पता 2022-23 की पहली तिमाही में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से पता चलता है जो 13.6 अरब डॉलर पर मजबूत बना हुआ है. जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 11.6 अरब डॉलर था.
कुल मिलाकर आर्थिक विकास को लेकर उज्जवल नजरिया
वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 के लिये भारत का वृद्धि परिदृश्य अब भी ऊंचा बना हुआ है और मजबूत पुनरुद्धार की पुष्टि करता है. इसमें कहा गया है कि निजी क्षेत्र और बैंकों के बही-खाते बेहतर हैं. कर्ज लेने और ऋण देने का जज्बा दिख रहा है. कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के कारण उत्पन्न व्यापार संतुलन जैसे कुछ झटकों को छोड़कर ऐसा लगता है कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में भी आर्थिक विकास अपनी गति बनाए रखेगा.
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