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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में एक जनवरी से कोयले पर पाबंदी होगी। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के मुताबिक, यह पाबंदी इसके औद्योगिक, घरेलू और अन्य उपयोगों पर होगी। हालांकि, बिजली संयंत्रों में कम सल्फर वाले कोयले (लो-सल्फर कोल) के इस्तेमाल को पाबंदी से बाहर रखा गया है।
दिल्ली-एनसीआर देश के सबसे अधिक प्रदूषित इलाकों में शामिल हैं। ईंधन के तौर पर कोयला का इस्तेमाल प्रदूषण की बड़ी वजहों में से एक है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अब इस पर पूरी तरह से पाबंदी के निर्देश जारी किए हैं। आयोग के मुताबिक, जिन औद्योगिक क्षेत्रों में पीएनजी आपूर्ति हैं, वहां एक अक्तूबर 2022 से ही कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लागू होगी। जबकि, जिन औद्योगिक क्षेत्रों में पीएनजी की आपूर्ति नहीं है, वहां एक जनवरी 2023 से कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी होगी। इस तरह से अगले साल की पहली तारीख से उद्यमों, घरेलू और अन्य तमाम जगहों पर कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी लागू हो जाएगी।
सलाह के बाद निर्णय : दिल्ली-एनसीआर में हर साल प्रदूषण की स्थिति भयावह हो जाती है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए आम लोगों और विशेषज्ञों से केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सुझाव मांगे थे। आयोग को मिले कई सुझावों में यह कहा गया था कि एनसीआर क्षेत्र में कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए।
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