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Presidential Elections 2022: शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपनी पार्टी के समर्थन का एलान किया. आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू के लिए लगातार समर्थन बढ़ता जा रहा है, जबकि यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने वाले विपक्ष में नए सिरे से और विभाजन उभरता हुआ नजर आ रहा है. उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह एलान करके विपक्षी खेमे को बड़ा झटका दे दिया.
उद्धव ने विपक्ष को दिया झटका
इसके बाद अब 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू को समर्थन देने वाले दलों की वोट हिस्सेदारी 60 प्रतिशत के पार पहुंच गयी है. शिवसेना एक तरह से दो हिस्सों में बंटी हुई है. एक की अगुवाई उद्धव ठाकरे कर रहे हैं जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो दूसरा खेमा मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला है. शिंदे खेमा पहले ही मुर्मू को समर्थन की घोषणा कर चुका है.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना बिना किसी दबाव के मुर्मू के लिए समर्थन की घोषणा कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपना रुख स्पष्ट कर रहा हूं. मेरी पार्टी के आदिवासी नेताओं ने मुझसे कहा कि यह पहली बार है कि किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका मिल रहा है. उनके विचारों का सम्मान करते हुए हमने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का निर्णय किया है.’’
उद्धव के फैसले पर बिफरी कांग्रेस
शिवसेना सुप्रीमो ने कहा, ‘‘दरअसल, वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए, मुझे उनका समर्थन नहीं करना चाहिए था क्योंकि वह बीजेपी की कैंडिडेट हैं. लेकिन हम संकीर्ण मानसिकता वाले नहीं हैं.’’ महा विकास आघाड़ी में ठाकरे की सहयोगी कांग्रेस ने कहा कि शिवसेना का फैसला समझ से परे है. महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने एक बयान में कहा, ‘‘शिवसेना महा विकास आघाड़ी का हिस्सा है, लेकिन उसने हमारे साथ इस फैसले पर चर्चा नहीं की है. यह समझ से परे है कि पार्टी मुर्मू का समर्थन क्यों कर रही है जबकि उसकी सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से गिराया गया.’’
दौपदी मुर्मू का जीतना तय
बीजद, वाईएसआर-कांग्रेस, बसपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, जदएस, शिरोमणि अकाली दल और अब शिवसेना जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिलने के बाद, राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के मतों की हिस्सेदारी पहले ही 60 प्रतिशत के पार हो चुकी है. उनके नामांकन के समय यह करीब 50 प्रतिशत थी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) जैसे बड़े गैर-भाजपाई दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार बनाया है.
दौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा ने जन प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करने के लिए मंगलवार को कुछ और राज्यों का दौरा किया. मुर्मू ने आंध्र प्रदेश के अमरावती का दौरा किया और कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी ‘सामाजिक न्याय और महिला सशक्तीकरण की अभिव्यक्ति’ है.
यशवंत सिन्हा बोले- ‘मौन राष्ट्रपति’ की नहीं जरूरत
चंडीगढ़ पहुंचे सिन्हा ने कहा कि देश को एक ‘मौन राष्ट्रपति’ की जरूरत नहीं है बल्कि ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो अपने नैतिक अधिकारों और विवेक का उपयोग करे. यशंत सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया. मुंबई में शिवसेना के ज्यादातर सांसदों ने ठाकरे से दौपदी मुर्मू का समर्थन करने का अनुरोध किया था. लोकसभा में शिवसेना के 19 सदस्य हैं जिनमें 18 महाराष्ट्र से हैं. राज्यसभा में पार्टी के तीन सदस्य हैं.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना ने 2007 और 2012 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों क्रमशः प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था, भले ही उस समय शिवसेना, भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की एक घटक थी. मुर्मू ने पश्चिम बंगाल के बीजेपी सांसदों और विधायकों से भी मुलाकात कर समर्थन मांगा. कोलकाता के एक होटल में लगभग घंटे भर चली बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय नेताओं के साथ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी मौजूद थे.
बीजेपी की बंगाल इकाई के सूत्रों के मुताबिक, बैठक में पार्टी के 16 सांसद व 65 विधायक शामिल हुए और सभी ने मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन देने का भरोसा दिलाया. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “हम सभी ने उन्हें पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलाया और उनकी जीत की कामना की.” केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हावड़ा में संवाददाताओं से कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस मुर्मू का समर्थन नहीं करती तो साबित हो जाएगा कि पार्टी आदिवासियों और गरीबों के खिलाफ है.
स्मृति ईरानी बोलीं- फैसले का आकलन करें बंगाल सीएम
ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा था कि अगर भाजपा मुर्मू को उम्मीदवार बनाने से पहले विपक्षी दलों से बातचीत करती तो वे उन्हें समर्थन देने के बारे में सोच सकते थे. इस बारे में पूछे जाने पर ईरानी ने कहा, ‘‘अगर ममता दी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन नहीं कर सकतीं तो उन्हें खुद आकलन करना चाहिए कि वह गरीबों और आदिवासियों के खिलाफ हैं या नहीं.’’
मुर्मू ने उत्तर कोलकाता में स्वामी विवेकानंद के पैतृक घर का भी दौरा किया. उनके साथ बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी, मजूमदार आदि थे. मुर्मू ने आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के सांसदों एवं विधायकों से भी मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक सुदूर गांव की आदिवासी महिला हूं. आंध्र प्रदेश एवं ओडिशा पड़ोसी हैं और उनके खान-पान की आदतों, परिधान एवं रीति-रिवाजों में काफी साम्यताएं हैं. मैं संथाल समुदाय से आती हूं जो भारत की बड़ी जनजातियों में एक है.’’
केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ मुर्मू दोपहर में अमरावती पहुंचीं और वह ताडेपल्ली में मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहनरेड्डी के निवास पर गयीं. मुर्मू ने तेलुगू में ‘अंडारिकी नमस्कारालू’ कहकर अपना संबोधन शुरू किया. उन्होंने आंध्र प्रदेश के ‘वैभवशाली इतिहास, उसके कवियों, योद्धाओं, स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी.’
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