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केंद्र सरकार ने गेहूं प्रोडक्शन का अनुमान 5.7% घटा दिया है। पहले 2021-22 फसल वर्ष में 11.13 करोड़ टन प्रोडक्शन का अंदाजा था, लेकिन समय से पहले तेज गर्मी के कारण फसल पर हुए असर से अब करीब 10.50 करोड़ टन ही प्रोडक्शन का अनुमान है। पिछले फसल वर्ष में 10.95 करोड़ टन गेहूं प्रोडक्शन हुआ था। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा, फिलहाल गेहूं निर्यात पर नियंत्रण की कोई स्थिति नहीं है।
इस सीजन 4.44 करोड़ टन खरीदी का टारगेट
इसके साथ ही 2022-23 में सरकारी गेहूं खरीदी 1.95 करोड़ टन तक हो सकती है जो कि पिछले साल से आधी से ज्यादा कम है। अब तक 1.75 करोड़ टन तक खरीदी हो चुकी है। सरकार ने इस सीजन के लिए 4.44 करोड़ टन खरीदी का टारगेट रखा था। लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खाद्यान्न की मांग पूरी करने में किसी तरह की कमी नहीं होगी।
राज्यों को गेहूं की जगह 55 लाख टन एक्स्ट्रा चावल मिला
सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत वितरित किए जाने वाले राशन के लिए राज्यों को गेहूं की जगह 55 लाख टन अतिरिक्त चावल आवंटित किया है। उन्होंने कहा कि यह खरीदी कम होने के कारण नहीं बल्कि राज्यों की मांग और फोर्टिफाइड चावल की डिलीवरी बढ़ाने के प्रयासों के तहत किया गया है। इससे 4800 करोड़ रुपए का सब्सिडी का अतिरिक्त भार आएगा। योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार के पास 3.50 करोड़ टन से ज्यादा स्टॉक है। मिस्र, तुर्की और कुछ यूरोपीय देशों के बाजार भारत के गेहूं के लिए भी खुल रहे हैं।
सरकारी खरीद का अनुमान क्यों घटा
- खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमतें मिलने से किसान सरकारी खरीद केंद्र की जगह खुले बाजार में अपनी उपज बेच रहे हैं।
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बने खाद्यान्न संकट के कारण गेहूं की मांग और कीमत आगे और बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में किसान और व्यापारी स्टॉक कर रहे हैं।
- समय पूर्व तेज गर्मी कारण कुछ हिस्सों में प्रोडक्शन प्रभावित हुआ है। इससे कुछ राज्यों में उपज प्रभावित हुई है।
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