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कई किसान खेतों की रखवाली में मरे, परिजन बोले- नेता तय करें कि हम जरूरी या सांड
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर से लेकर लखनऊ-उन्नाव तक आवारा सांड BJP के वोट बैंक को चारा बनाकर खाते दिख रहे हैं। चुनावी एक्सपर्ट के मुताबिक चौथे चरण की 60 सीटों में कम से कम 50 पर इस बार सांड बड़ा मुद्दा है। ऐसा योगी सरकार में गोवंश को मिले संरक्षण में इनकी तादाद बढ़ने की वजह से हुआ है। वहीं, भूख शांत करने के लिए ये फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सांड लोगों की जान भी ले रहे हैं। सपा और कांग्रेस के नेता लोगों के इस गुस्से को भांप चुके हैं। इसलिए UP चुनाव 2022 में भाजपा को सांड मुद्दे पर घेर रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां तक कहा कि अगर हमारी सरकार बनती है, तो सांड के हमले में जान गंवाने वालों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देंगे।
आखिर सांड UP विधानसभा के बड़े मुद्दे में कैसे शामिल हो गया। इसको समझने के लिए दैनिक भास्कर की 2 टीमों ने 600 किमी की यात्रा की। सांड को लेकर लखनऊ से सीतापुर होते हुए लखीमपुर और पीलीभीत में एक जैसे हालात मिले।
आइए मंडे बिग स्टोरी में सांड के चुनावी मुद्दा बनने की कहानी पढ़ते हैं…
शुरुआत खीरी क्षेत्र से करते हैं। यहां गांव जमुनिया में कोई भी इतवारी गौतम का घर बता देगा, क्योंकि कुछ महीनों पहले इतवारी गौतम पर सांड ने हमला कर दिया था, जिसमें उनकी जान चली गई थी। उनके बेटे राजकुमार बताते हैं, ‘खेत में धान रखा था। अचानक रात में सांडों का झुंड आ गया, बाबा उन्हें भगाने गए, एक सांड ने दोनों सींग उनकी छाती में मार दिए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।’
गांव के रामदयाल का कहना है कि रातभर हम लोग खेतों में पहरा देते हैं। जानवरों का पीछा कर उन्हें भगाते हैं। खेतों में तार लगा है। सांड और आवारा पशुओं से छोटे किसान और भी ज्यादा परेशान हैं। उनका कहना है कि मिनटों में वह सारी फसल चट कर जाते हैं। बड़े किसानों ने खेत में बाड़ लगाई हैं, लेकिन जब सांडों का झुंड आता है तो वह बाड़ को भी तहस-नहस कर देते हैं।