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देश के कई राज्यों पेट्रोल पंपों के ड्राय होने की खबरों के बीच सरकार ने सभी रीटेल आउटलेट के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन (USO) लागू करने का फैसला किया है। यानी अब पेट्रोल पंप चाहे सरकारी हो या प्राइवेट दोनों पेट्रोल-डीजल बेचना बंद नहीं कर सकते। ये नियम रिमोट एरिया के पेट्रोल पंपो पर भी लागू है। सरकार ने साफ किया है कि जो भी इन नियमों को फॉलो नहीं करेगा उसका लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाएगा।
दरअसल, नयारा और रिलायंस जैसी प्राइवेट कंपनियों ने घाटे के कारण अपनी सप्लाई रोक दी थी। इससे उनके बल्क बायर्स सरकारी पंपो पर शिफ्ट हो गए और HPCL, IOC और BPCL पर बढ़ी मांग को पूरा करने का दबाव आ गया। अचानक बढ़ी मांग के कारण कई सरकारी पेट्रोल पंपो पर फ्यूल का स्टॉक खत्म हो गया। अकेले HPCL की बात करें तो अप्रैल-मई 2022 में पिछले साल की तुलना में डिमांड 36% से ज्यादा बढ़ी है।
15-25 रुपए प्रति लीटर का घाटा
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद भी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा नहीं किया है। इससे IOC, BPCL और HPCL समेत अन्य कंपनियों को पेट्रोल और डीजल पर 15-25 रुपए प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। इसी घाटे के कारण Jio-bp और Nayara Energy जैसे प्राइवेट फ्यूल रिटेलर्स ने या तो कुछ स्थानों पर कीमतें बढ़ा दी या बिक्री में कटौती की।
सरकार ने कहा, पेट्रोल-डीजल की कमी नहीं
पेट्रोल-डीजल की शॉर्टेज को लेकर बुधवार को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बयान जारी किया था। उसमें कहा गया था कि देश में पेट्रोल और डीजल की कमी नहीं है। मंत्रालय ने कहा, पेट्रोल-डीजल का उत्पादन मांग में तेजी को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। वहीं मांग में बढ़ोतरी का कारण प्राइवेट कंपनियों की ओर से सप्लाई रोकने को बताया गया था।
ऑयल इंडस्ट्री के डेटा के मुताबिक जून 2022 में 2021 के मुकाबले पेट्रोल की 54% और डीजल की खपत 48% बढ़ी है। तेल कंपनियों ने डिपो और टर्मिनल्स पर स्टॉक बढ़ाकर इस समस्या से निपटने के लिए कमर कस ली है। राज्यों में पेट्रोल-डीजल की सप्लाई करने वाले रिटेलर्स अब नाइट शिफ्ट में भी काम करेंगे, ताकि टैंकर्स से पेट्रोल पंप में ज्यादा से ज्यादा फ्यूल की सप्लाई हो सके।
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