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टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर महानायक बने नीरज चोपड़ा, एथलेटिक्स में एक नये युग की शुरुआत
नयी दिल्ली : नीरज चोपड़ा ने वर्ष 2021 में तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स में नये युग की शुरुआत की। उन्होंने ऐसी सफलता हासिल की जिसका देश एक सदी से भी अधिक समय से इंतजार कर रहा था और जिसने उन्हें देश में महानायक का दर्जा दिला दिया। किसान के बेटे नीरज ने सात अगस्त को 57.58 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलेटिक्स ही नहीं भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा जिसकी धमक वर्षों तक सुनायी देगी। यह उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास भी नहीं था, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि चोपड़ा निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय बन गये थे। चोपड़ा को शुरू से ही पदक का दावेदार माना जा रहा था लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़कर वह कारनामा कर दिखाया जिसके बारे में कभी भारतीय एथलीट सपने में ही सोचा करते थे। भारत का यह एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक था। चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा था कि यह अविश्वसनीय है। यह मेरे लिये और मेरे देश के लिये गौरवशाली क्षण है। यह क्षण हमेशा मेरे साथ बना रहेगा। चोपड़ा का स्वर्ण पदक जहां भारतीय एथलेटिक्स में एक नयी शुरुआत है, वहीं देश ने इस वर्ष महान मिल्खा सिंह के निधन के साथ एक युग का अंत भी देखा। स्वतंत्र भारत के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक मिल्खा सिंह रोम ओलंपिक 1960 की 400 मीटर की दौड़ में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गये थे। नीरज से देश को काफी उम्मीदें थी, जिसपर वे खरे उतरते हुए सोना का तमगा जीता।