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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आमने-सामने आ गए हैं। उपराज्यपाल ने आबकारी नीति के तहत शराब लाइसेंस आवंटन में धांधली के आरोपों की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की है। इस फैसले पर मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि यह उपमुख्यमंत्री सह आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को फंसाने की साजिश है। उन पर झूठा केस बनाया जा रहा है।
उपराज्यपाल ने शुक्रवार को मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर सीबीआई जांच की संस्तुति की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी नीति 2021-22 में लाइसेंस आवंटन के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया है। आवंटन में कई प्रक्रियात्मक खामियां छोड़ी गई हैं, जिनके कारण व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका है। नीति का उल्लंघन कर टेंडर प्रक्रिया में अनुचित लाभ उठाया गया।
लाइसेंस फीस माफ की गई :रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि इस नीति के जरिये कोरोना काल में लाइसेंस फीस माफ की गई। शराब कारोबारियों को टेंडर में 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी गई, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इसके अलावा लाइसेंस प्रणाली में खामियां छोड़ी गईं, जिससे टेंडर प्रक्रिया में कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके। शराब तैयार करने से लेकर इसके भंडारण और बिक्री का जिम्मा चुनिंदा लोगों को दिया गया।
बिना स्वीकृति लाइसेंस अवधि बढ़ाई : वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए जारी लाइसेंस की अवधि 31 मार्च को खत्म हो रही थी, लेकिन इसके बाद दो बार बिना किसी कैबिनेट व सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के इसकी अवधि को बढ़ाया गया। जुलाई महीने की शुरुआत में मुख्य सचिव ने आबकारी नीति के तहत जारी शराब लाइसेंस को लेकर विस्तृत रिपोर्ट दी गई थी।
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