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कश्मीर में आतंकी गैर-कश्मीरियों को निशाना बना रहे हैं। मंगलवार को हिंदू टीचर रजनीबाला की हत्या के बाद गुरुवार को दो जगह गैर-कश्मीरियों पर हमले हुए। पहला हमला सुबह कुलगाम में हुआ, जहां राजस्थान निवासी 25 वर्षीय बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या कर दी गई।
इन टारगेट किलिंग्स के बाद घाटी से कश्मीरी पंडित बड़े पैमाने पर पलायन की तैयारी में जुट गए हैं। इसी मुद्दे पर आज गृह मंत्री अमित शाह NSA अजित डोभाल के साथ बैठक करेंगे। इस मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, DGP दिलबाग सिंह, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, CRPF के महानिदेशक कुलदीप सिंह और SSB के प्रमुख भी शामिल होंगे। गुरुवार को भी शाह ने डोभाल के साथ बैठक की थी।
जम्मू पहुंचने की कोशिश कर रहे कश्मीरी पंडित
अनंतनाग के मट्टन में गुरुवार को आतंकी हमलों से डरे पंडित अपना सामान लेकर जम्मू के बनिहाल जाने की कोशिश में जुट गए हैं। जम्मू-कश्मीर में PM पैकेज के तहत कर्मचारी अमित कौल ने बताया कि हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। आज 4 लोगों की हत्या हुई है, इसके चलते 30-40 परिवार शहर छोड़कर जा चुके हैं। सरकार हमारी मांग पूरी नहीं कर रही है, श्रीनगर में कोई भी सुरक्षित जगह नहीं है।
लालचौक से अनंतनाग तक कई जगह प्रदर्शन
सरकारी आश्वासनों और जिला मुख्यालयों पर सुरक्षित पोस्टिंग के वादे के बावजूद गुरुवार को लगातार दूसरे दिन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने श्रीनगर से जम्मू की ओर पलायन किया। अब अन्य हिंदू कर्मचारी भी जम्मू की ओर रुख कर रहे हैं। सैकड़ों परिवार कश्मीर छोड़ चुके हैं, वहीं सैकड़ों छोड़ने वाले हैं। कई लोग रात के अंधेरे में पलायन कर रहे हैं।
हिंदुओं का आरोप- सरकारी सुरक्षा नाकाफी
गांदरबल, श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के ट्रांजिट कैंपों में रहने वाले हिंदुओं ने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें गेट के बाहर नहीं जाने दे रही। श्रीनगर के देहाती इलाके से गाड़ी पकड़ने शहर पहुंचे एक कर्मचारी ने बताया, ‘सरकार ने हमें जिला मुख्यालयों पर पोस्टिंग दी है, लेकिन यह काफी नहीं है। दूध-किराना के लिए बाजार जाना होता है। बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे? पुलिस हर जगह तो सुरक्षा नहीं दे सकती। इसलिए यही विकल्प है कि किसी तरह जम्मू पहुंच जाएं। बाकी बातें बाद में सोचेंगे।’
एक अन्य कर्मचारी ने कहा- जिला मुख्यालय पर सभी गैर-मुस्लिमों की पोस्टिंग देना भी खतरनाक बात है। इसका मतलब यह हुआ कि स्थानीय कर्मचारी दूसरी जगह ट्रांसफर होंगे। इससे तो हालात और खराब हो जाएंगे। इसलिए हम जा रहे हैं।
कर्मचारियों को सुरक्षित जगह तैनात करने का फैसला
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने खतरे की आशंका में कश्मीरी प्रवासियों और जम्मू संभाग के अन्य कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर तैनात करने का फैसला लिया है। इसके बाद भी प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत नियोजित कर्मचारियों का आक्रोश कम नहीं हुआ। जम्मू में बड़ी
संख्या में डेरा डालने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि टारगेट बनाकर कर्मचारियों की हत्याएं की जा रही हैं।
कश्मीर में 12 घंटे में दूसरा आतंकी हमला
कश्मीर में गुरुवार को 12 घंटे के अंदर दो बार आतंकी हमला हुआ। गुरुवार सुबह आतंकियों का निशाना बने बैंक मैनेजर विजय कुमार राजस्थान के हनुमानगढ़ के थे। उनकी 4 महीने पहले ही शादी हुई थी और वे एक महीने पहले पत्नी मनोज कुमारी को लेकर कश्मीर गए थे।
विजय 3 दिन पहले ही किसी अन्य ब्रांच से ट्रांसफर होकर इलाकाई देहाती बैंक (EDB) की कुलगाम ब्रांच में आए थे। गुरुवार को वे अपनी डेस्क पर थे, अचानक एक नकाबपोश अंदर आया और विजय को गोली मार दी। अस्पताल ले जाते समय विजय ने दम तोड़ दिया। दूसरा हमला बडगाम में हुआ, जहां 2 ईंटभट्टा मजदूरों को निशाना बनाया गया। इसमें बिहार निवासी दिलसुख की मौत हो गई जबकि, पंजाब निवासी गोरिया जख्मी है।
22 दिन में 9वीं टारगेट किलिंग, इनमें 5 हिंदू थे
कश्मीर में इस साल 20 नागरिकों की हत्या हो चुकी है। इनमें से 9 हत्याएं पिछले 22 दिन में हुईं, जिसमें 5 हिंदू और 3 सुरक्षाबलों के जवान थे। ये जवान छुट्टी पर घर आए थे। आतंकियों ने एक टीवी एक्टर की भी हत्या कर दी थी। इन टारगेट किलिंग्स के बाद लोगों में दहशत है और वे घाटी के बजाए जम्मू में रहना चाहते हैं।
गाड़ी के अंदर धमाका, 1 जवान शहीद
शोपियां में वाहन के अंदर विस्फोट से सेना के 3 जवान घायल हो गए थे। उनमें से एक जवान पवन रावत शहीद हो गए। आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर सुरक्षाबलों ने घेराबंदी कर तलाशी शुरू की थी। 3 जवान इसी सिलसिले में जा रहे थे।
अमरनाथ यात्रा बड़ी चुनौती, 350 कंपनियां तैनात होंगी
कश्मीर के हालात पर दशकों से नजर रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर मजदूरों को छोड़ दें तो आतंकी गैर-कश्मीरी पेशेवरों में दहशत फैलाकर उन्हें रोजगार से दूर करने की साजिश का नया ट्रेंड बना रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियां कई गुना बढ़ गई हैं। कश्मीर में सुरक्षाबलों के अलावा अन्य सरकारी सेवाओं में 10 हजार से ज्यादा लोग गैर-कश्मीरी या पंडित समुदाय से हैं। सभी को सुरक्षा देना असंभव है, अब यही आतंकियों के नए और आसान टारगेट हैं।
मौजूदा हालात में अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से कराना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है। अनुमान के अनुसार 42 दिनों की यात्रा अवधि में आतंकी हिंसा रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों की 350 कंपनियां यात्रा मार्ग पर समेत अन्य जगहों पर तैनात रहेंगी। ट्रांजिट कैंपों/बेस कैंपों की निगरानी के लिए इस साल सेना ड्रोन कैमरों का उपयोग करेगी। श्राइन बोर्ड ने सभी वाहनों, तीर्थयात्रियों और पिट्ठू की RIFD टैगिंग भी शुरू की है।
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