Politics News
● जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था। उस समय वहां 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं। अभी 20 जिले और 270 तहसील हैं।
● जम्मू-कश्मीर में अब तक 1963, 1973 व 1995 में परिसीमन की प्रक्रिया हुई है।
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले गुरुवार को अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी। केंद्र शासित प्रदेश में सात विधानसभा सीटों की बढ़ोतरी की गई है। पहली बार कश्मीर एवं पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से विस्थापित हुए लोगों और अनुसूचित जनजाति के लिए सीट आरक्षित की गई हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व वाले आयोग की सिफारिशों पर एक अधिसूचना के माध्यम से सीटों को अधिसूचित कर दिया है। परिसीमन की कार्यवाही होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने का रास्ता साफ हो गया है।
बराबर होंगी सीटें P 11
अबतक क्या
● जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 87 सीटें थीं, जिनमें चार लद्दा़ख की शामिल। केंद्र शासित बनने के बाद लद्दा़ख की सीटें अलग हो गईं व 83 सीटें बचीं। लोकसभा की छह सीटों में से पांच जम्मू-कश्मीर में, एक लद्दाख को चली गईं।
● अनुसूचित जनजाति के लिए पहली बार नौ सीटें रिजर्व। इनमें से छह जम्मू व तीन कश्मीर में होंगी।
● अनुसूचित जाति के लिए पहले की ही तरह सात सीट आरक्षित रहेंगी। ये सभी जम्मू क्षेत्र में रहेंगी।
● पहली बार कश्मीर से विस्थापित हुए प्रवासियों के लिए दो सीट। इनमें एक महिला के लिए होगी।
● पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिए भी एक सीट होगी।
● जम्मू और कश्मीर, दोनों संभागों में ढाई-ढाई लोकसभा सीटें होंगी। यानी कुल पांच। इनमें से जम्मू और कश्मीर में दो-दो व एक सीट दोनों संभागों में होगी। जम्मू के राजौरी व पुंछ को कश्मीर के अनंतनाग से मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया। इससे यह सीट दोनों संभागों में आ गई।
● पांचों लोकसभा सीटों में 18-18 सीटें होंगी।
● 2011 की जनगणना के आधार पर आयोग ने परिसीमन किया है।