Business News
मुंबईः रियल्टी, वाहन एवं धातु कंपनियों के शेयरों में नुकसान और वैश्विक बाजारों में जारी बिकवाली के दबाव के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में करीब एक प्रतिशत की बड़ी गिरावट रही। शेयर बाजारों में भारी बिकवाली के दबाव के बीच निवेशकों की 3.78 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डूब गई। शेयर बाजारों के कमजोर रुख के बीच बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 3,78,213.43 रुपये घटकर 2,76,24,224.28 करोड़ रुपये पर आ गया। इसके एक दिन पहले ही बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 2,80,02,437.71 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। बीएसई का तीस शेयरों का सेंसेक्स कारोबार के अंत में 554.05 अंक यानी 0.90 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 60,754.86 अंक पर आ गया। सेंसेक्स के तीस में से 23 शेयर नुकसान में रहे। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 195.05 अंक यानी 1.07 अंक की गिरावट के साथ 18,113.05 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी के 50 में से 43 शेयर नुकसान में रहे।
क्या रही स्थितिः सेंसेक्स की कंपनियों में चार प्रतिशत के साथ मारुति सुजुकी के शेयर में सबसे ज्यादा नुकसान रहा। टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, टाटा स्टील, इंडसइंड बैंक और एलएंडटी को भी खासा
नुकसान उठाना पड़ा। दूसरी तरफ एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक बैंक, डॉ रेड्डीज, टाइटन और नेस्ले इंडिया के शेयर लाभ में रहे।ो
क्या रहा कारणः फेड रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के संकेत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उबाल से हतोत्साहित निवेशकों की स्थानीय स्तर पर बेसिक मैटेरियल्स, इंडस्ट्रियल्स, दूरसंचार, ऑटो, कैपिटल गुड्स, धातु और रियल्टी समेत 18 समूहों में हुई बिकवाली से घरेलू शेयर बाजार करीब एक प्रतिशत तक गिर गया। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के इस वर्ष मार्च से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किये जाने के संकेत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत के सात साल से अधिक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का असर यूरोपीय और एशियाई बाजारों पर पड़ा। इससे घरेलू शेयर बाजार भी अछूता नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव 1.13 प्रतिशत बढ़कर 87.46 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया। संयुक्त अरब अमीरात में एक तेल प्रतिष्ठान पर ड्रोन हमले के बाद आपूर्ति चिंताएं बढ़ने से कच्चे तेल में तेजी देखी जा रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञः जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘कच्चे तेल के दाम में आई तेजी और विदेशी संस्थागत निवेशकों के बिकवाल रहने से घरेलू बाजार में उठापटक देखी गई।
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका के बीच बांड प्रतिफल बढ़ने से वैश्विक स्तर पर बाजारों में बिकवाली का दबाव रहा। इसके साथ ही तेल आपूर्ति को लेकर चिंताएं बढ़ने से कच्चे तेल के दाम भी बढ़ गए हैं।’