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इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने अमेरिकी आर्थिक विकास दर यानी GDP ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 2.9% कर दिया है। इसका बड़ा कारण अमेरिकी केंद्रीय बैंक की आक्रामक दरों के बाद डिमांड में आई कमी है। IMF ने साथ में यह भी कहा है कि अमेरिका के मंदी से बचने के आसार अब बहुत कम होते जा रहे हैं। इससे पहले अप्रैल में IMF ने अप्रैल में अनुमान लगाया था कि 2022 में अमेरिका की GDP ग्रोथ 3.7% रहेगी।
2023 का अनुमान भी घटाया
IMF ने 2023 के लिए अमेरिकी विकास दर का अनुमान 2.3% से घटाकर 1.7% कर दिया है। वहीं 2024 में इसके 0.8% रहने का अनुमान लगाया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोविड-19, मांग-आपूर्ति में रुकावट, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल और खाने के सामान की ऊंची कीमतों से गहरा धक्का लगा है।
2 बार घटा चुका है विकास दर का अनुमान
पिछले साल अक्टूबर में IMF ने ही अमेरिकी GDP ग्रोथ के इस साल 5.2% रहने का अनुमान लगाया था। लेकिन तब से इसमें 2 बार कमी कर दी गई है।
2008 में भी अमेरिका से ही हुई थी मंदी की शुरुआत
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है और दुनिया के अधिकतर देश इससे जुड़े हुए हैं। 2008 में भी मंदी की शुरुआत अमेरिका से ही हुई थी, फिर इसके चपेट में पूरी दुनिया आ गई थी। हालांकि तब इसका असर भारत पर बहुत कम था।
40 सालों के रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई
अमेरिका में महंगाई 40 सालों के रिकॉर्ड स्तर पर है। बाइडेन प्रशासन और फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड महंगाई से निपटने के लिए कई बड़े कदम उठाएं हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी की है। इसके बाद बाजार में भारी गिरावट आई है। ब्याज दर बढ़ाने का निर्णय महंगाई को कंट्रोल तो कर सकता है लेकिन इस कदम से अमेरिका में मंदी आ सकती है।
इससे पहले भारत का GDP अनुमान भी घटाकर 8.2% किया था
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के GDP अनुमान को 80 बेसिस पॉइंट घटाकर 8.2% कर दिया है। जनवरी में IMF ने 9% ग्रोथ का अनुमान लगाया था। ग्रोथ अनुमान रूस-यूक्रेन जंग को देखते हुए घटाया गया है। IMF का मानना है कि रुस-यूक्रेन जंग से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई है और ये घरेलू खपत और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट पर बुरा प्रभाव डालेगी।
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