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कोलकाता : हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस केशांग दोमा भूटिया के डिविजन बेंच ने कुछ शर्तों के साथ गंगासागर मेला के आयोजन की अनुमति दे दी। मेला पर रोक लगाने को दायर पीआईएल पर सुनवायी के बाद डिविजन बेंच ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। इसके साथ ही कहा कि धार्मिक या सामाजिक स्थलों पर 50 से अधिक लोगों के जमा नहीं होने के सरकार के आदेश पर भी अमल करना पड़ेगा। एडवोकेट सूर्यनील दास ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस पीआईएल पर सुनवायी वृहस्पतिवार को समाप्त हो गई थी पर डिविजन बेंच ने अपना फैसला आरक्षित कर लिया था। यहां गौरतलब है कि गंगासागर मेला 8 जनवरी से शुरू होगा और 16 जनवरी तक चलेगा। डिविजन बेंच ने निम्नोक्त दिशा निर्देश जारी करते हुए मामला का निपटारा कर दिया। डिविजन बेंच ने कहा है कि राज्य के सक्षम अधिकारी को इस फैसले के 24 घंटे के अंदर गंगासागर मेला एक्ट 1976 की धारा 3 के तहत अधिसूचना जारी करने के बाबत फैसला लेना पड़ेगा।
इसके तहत सागर द्वीप को अधिसूचित क्षेत्र घोषित करना पड़ेगा। इसके साथ ही गृह सचिव को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि राज्य सरकार द्वारा दो जनवरी को जारी दिशानिर्देश पर अमल किया जाए। डिविजन बेंच ने स्पष्ट किया है कि निषेधाज्ञा नंबर 10 को बिना किसी चूक के गंगासागर द्वीप में लागू किया जाए। यहां गौरतलब है कि मुख्य सचिव ने दो जनवरी को एक दिशानिर्देश जारी किया था जिसके दसवें नंबर के क्रम में कहा गया था किसी भी सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समारोह में 50 से अधिक व्यक्तियों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसमें कहा गया था कि यह दिशानिर्देश तीन जनवरी से लागू हो जाएगा। यह दिशानिर्देश डिजेस्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत दिया गया था। डिविजन बेंच ने कहा है कि गंगासागर मेला की प्रकृति भी सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक है। इसलिए यह आदेश गंगासागर पर भी लागू होता है। इसलिए राज्य सरकार को इसे पूरी सख्ती के साथ लागू करना पड़ेगा। यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि लोगों को यह समझाए कि एक छोटे से द्वीप पर इतनी बड़ी भीड़ होने का क्या भयानक परिणाम हो सकता है। गृह सचिव अधिक प्रचलन वाले अखबारों में विज्ञापन दे कर लोगों को अगाह करें कि वे इस अवधि में गंगासागर नहीं जाएं। डिविजन बेंच ने कहा है कि जहां तक प्रचार का सवाल है तो यह आज, यानी शुक्रवार, से ही शुरू हो जाना चाहिए। इससे संबंधित राज्य के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि पिछले साल गंगासागर मेला के मामले में हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने जो आदेश दिया था उस पर इस साल भी पूरी तरह अमल किया जाए। डिविजन बेंच ने हावड़ा और सियालदह रेलवे स्टेशनों पर थर्मल चेकिंग की जाने और मेडिकल स्क्रीनिंग कैंप लगाए जाने का आदेश दिया था। रैपिड एंटीजेने टेस्टिंग की जाने और आरटीपीसीआर की सुविधा स्थापित की जाने का आदेश दिया था। इसके साथ ही ई-स्नान और ई-दर्शन की सुविधाएं स्थापित करने का आदेश दिया था। पैकेटों में पवित्र पानी घरों तक पहुंचाए जाने का आदेश दिया था। इसके साथ ही राज्य सरकार को सुझाव दिया था कि जो लोग समुद्र में डुबकी लगाने के बजाए ई-स्नान करना चाहे उन्हें जनहित में कुछ इंसेंटिव दिया जाए। डिविजन बेंच ने आदेश दिया है कि तीन सदस्यों की एक कमेटी बनायी जाए। इसमें विधानसभा में विपक्ष के नेता या उनके प्रतिनिधि, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन या उनके प्रतनिधि और राज्य सरकार के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए। यह कमेटी इस बात पर नजर रखेगी कि उपरोक्त आदेशों पर अमल किया जा रहा है या नहीं। इसके साथ ही यह भी देखेगी कि राज्य सरकार ने अपने एफिडेविट में जो कुछ कहा है उस पर अमल हो रहा है या नहीं। डिविजन बेंच ने कहा है कि अगर कमेटी को आदेश के अनुपालन में कोई खामी नजर आती है तो वह देर किए बगैर राज्य सरकार को सुझाव देगी कि गंगासागर में जाने पर पाबंदी लगायी जाए। इस सुझाव पर राज्य के सक्षम अधिकारी को तत्काल अमल करना पड़ेगा। मानवाधिकार आयोग के सचिव कमेटी के सदस्यों के बीच तालमेल बनाये रखने का काम करेंगे।