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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर के छह स्थानों पर ओजोन प्रदूषण का हॉट स्पॉट बन रहा है। इन सभी स्थानों की हवा में ओजोन की मात्रा मानकों से ज्यादा पाई गई है। अप्रैल महीने के शुरुआती दिनों में किए गए अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है। ओजोन के प्रदूषण ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
यूं तो दिल्ली एनसीआर को वैसे भी देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्से में शामिल किया जाता है, लेकिन हाल के दिनों में प्रदूषक कण पीएम 10 व पीएम 2.5 के साथ-साथ ओजोन के बढ़ते प्रदूषण ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ाई है। सफर ने एक से 11 अप्रैल के बीच दिल्ली-एनसीआर के निगरानी केन्द्रों पर हवा में ओजोन के स्तर का विश्लेषण किया है। इन निगरानी केंद्रों में से छह स्थान ऐसे पाए गए हैं जहां ओजोन का स्तर स्वीकृत मानकों से ज्यादा पाया गया है।
इन छह स्थानों मे सबसे ज्यादा खराब हालत नोएडा की पाई गई है। यहां पर ओजोन का प्रदूषण एक अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच कुल ग्यारह दिनों में से दो दिन बेहद खराब स्तर और नौ दिन खराब स्तर पर रहा। जबकि, जेएलएन स्टेडियम पर ओजोन प्रदूषण का स्तर एक दिन बेहद खराब, नौ दिन खराब और एक दिन मध्यम श्रेणी में रहा।
जानिए क्या है इस प्रदूषण का स्रोत
ओजोन एक ऐसा प्रदूषण है जो किसी सीधे स्रोत से पैदा नहीं होता। वाहनों व उद्यमों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड और वोलाटाइल आर्गेनिक कंपाउंड सूरज की रोशनी की मौजूदगी में क्रिया करके ओजोन प्रदूषक कण बनाते हैं। यह सतह के उसी स्तर पर मौजूद होती है, जिसमें हम सांस लेते हैं। इसलिए ये कण हमारी सांस के साथ शरीर के अंदर चले जाते हैं।
स्टेशन का नाम बेहद खराब खराब मध्यम श्रेणी ओजोन का स्तर
नोएडा 02 दिन 09 दिन 00 दिन 89-131 पीपीबी
जेएनएल स्टेडियम 01 दिन 09 दिन 01 दिन 78-117 पीपीबी
नेहरू नगर 01 दिन 09 दिन 01 दिन 85-108 पीपीबी
गुरुग्राम 00 दिन 11 दिन 00 दिन 87-104 पीपीबी
आरके पुरम 00 दिन 02 दिन 09 दिन 55-98 पीपीबी
करणी सिंह शूटिंग रेंज 00 दिन 01 दिन 10 दिन 69-92 पीपीबी
ओजोन का प्रदूषण सेहत के लिए बहुत घातक होता है। गर्मियों में ओजोन का स्तर बेहद खराब और खराब श्रेणी में पहुंच जाता है। ये कण पीएम 2.5 से ज्यादा घातक होते हैं। – गुफरान बेग, संस्थापक परियोजना निदेशक, सफर
यहां सबसे खराब हाल
स्थान एक्यूआई
मुंडका 370
बवाना 367
नरेला 338
द्वारका 333
अलीपुर 330
चांदनी चौक 322
बेहद नुकसानदायक
ओजोन का प्रदूषण शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होता है। खासतौर पर हृदय और श्वांसरोगियों के लिए ऐसी हवा में सांस लेना बहुत ज्यादा बीमार कर सकता है।