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पटना : 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए ने मंगलवार को झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को एनडीए का उम्मीदवार घोषित कर दिया। द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो राजनीतिक चाल चली है उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फंस चुके हैं। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश कुमार का जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है और पिछले कुछ दिनों में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच जो जबरदस्त टकराव की स्थिति पैदा हुई है उसके बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी जिस उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगी, नीतीश उसके नाम पर सहमत नहीं हो सकते हैं। द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के बाद नीतीश कुमार के लिए उनके उम्मीदवारी का विरोध करना संभव नहीं होगा। 2012 में जब नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे थे और उस वक्त प्रणब मुखर्जी यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार बने थे तो नीतीश ने बीजेपी से अलग लाइन लेते हुए प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन किया था। इसके बाद 2017 में भी जब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे तो उन्होंने फिर से अलग लाइन लेते हुए एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। इससे स्पष्ट है कि पिछले दो बार के राष्ट्रपति चुनाव पर नजर डालें तो नीतीश कुमार हमेशा उस उम्मीदवार का समर्थन करते हैं जो कि विपक्ष से होता है मगर इस बार शायद नीतीश कुमार के लिए द्रौपदी मुरमू को समर्थन नहीं देने का फैसला लेना मुश्किल होगा।