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नई दिल्ली | केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को बताया कि यूक्रेन के युद्धक्षेत्र से सभी भारतीय बाहर निकल आए हैं। सुमी से निकाले गए भारतीय छात्रों का आखिरी जत्था भी देर रात यूक्रेन से पोलैंड पहुंच गया। सभी के गुरुवार को देश लौटने की उम्मीद है।
गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकट की घड़ी में तमाम परेशानी के बीच जिस प्रकार अभियान का नेतृत्व किया, ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। कई देशों को अपने नागरिकों को निकालने में दिक्कतें हुईं। बड़े-बड़े देश भी विफल रहे। चीन तो शायद पहली बार आठ फरवरी को कुछ लोगों को निकाल पाया। अमेरिका ने तो पहले ही परामर्श जारी कर दिया था कि आप अपने आप निकल जाओ नहीं तो हम जिम्मेदार नहीं हैं। लेकिन भारत पड़ोसी मुल्कों के रास्ते भी लोगों को सकुशल निकाल लाया।
विदेशी छात्र भी निकाले:गोयल ने कहा- युद्ध के दौरान दुनिया ने तिरंगे की अहमियत देखी, जब कई दूसरे देशों के बच्चे भी भारत का झंडा लेकर निकलने में सफल रहे। भारत ने पाकिस्तान और नेपाल केएक-एक, टॺूनीशिया के दो व बांग्लादेश के 13 छात्रों को निकाला।
सूझबूझ से फैसला : केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने छात्रों की सुरक्षित निकासी के लिए आठ उच्च स्तरीय बैठक कीं। रूसव यूक्रेन के राष्ट्रपतियों सहित 11 बार विश्व के बड़े नेताओं से बात की। तभी हम अपने लोगों को बचाकर ला पाए। विपक्ष पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस व अन्य दलों ने इस पर भी राजनीति की कोशिश की।
विदेशी निकाले
पड़ोसी मुल्क बोले, भारत का शुक्रिया
यूक्रेन से निकली पाकिस्तान की आसमा शफीक ने वीडियो संदेश के जरिएप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय दूतावास को मदद के लिए शुक्रिया कहा। वहीं, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी उनके मुल्क के नागरिकों को निकालने में मदद के लिए आभार जताया। नेपाल सरकार ने भी समर्थन के के लिए भारत की प्रशंसा की।
कई शहरों में मानवीय गलियारे खोले
यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों से लोगों को निकालने के लिए बुधवार को कुछ शहरों में मानवीय गलियारे खोल दिए गए। उप प्रधानमंत्री इरीना वीरेशचुक ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि रूस युद्ध से सबसे अधिक प्रभावित छह इलाकों में सुबह नौ से रात नौ बजे तक संघर्ष विराम लागू करने के लिए राजी हो गया है।
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