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अमेरिका में महंगाई 41 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। जून 1981 के बाद से यह सबसे तेज सालाना दर से बढ़ी है। गैस से लेकर किराए और खाने की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ऐसा हुआ है। ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स ने महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक जून में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पिछले साल की तुलना में 9.1% की तेजी से बढ़ा है। इससे पहले मई में इसके बढ़ने की गति 8.6% थी। मासिक आधार पर इसके बढ़ने की गति 1.3% है। इसने फेडरल रिजर्व पर अपनी पॉलिसी को टाइट करने का प्रेशर बढ़ा दिया है। फेडरल रिजर्व के महंगाई के 2% के टारगेट से करीब 5 गुना है।
- 1- फूड और एनर्जी प्राइस जैसे वोलेटाइल आइटम को छोड़कर कोर CPI महीने में 0.7% और साल में 5.9% बढ़ी है।
- 2- एनर्जी प्राइस महीने में 7.5% और साल में 41.6% बढ़े है।
- 3- जून के महीने में फूड प्राइस में 1% की बढ़ोतरी हुई है।
- 4- जून में शेल्टर कॉस्ट 0.6% और रेंटल कॉस्ट 0.8% बढ़ी है।
- 5- गैसोलीन प्राइज महीने में 11.2% और साल में 60% बढ़े हैं।
- 6- इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट महीने में 1.7% और साल में 13.7% बढ़ी।
- 7- नए और पुराने वाहनों के प्राइस 0.7% और 1.6% बढ़े हैं।
बढ़ती महंगाई की वजह क्या है?
आमतौर पर महंगाई तब बढ़ती है जब या तो डिमांड बढ़े या फिर सप्लाई कम हो जाए। अमेरिका में बढ़ती महंगाई के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं।
- 1- एक कारण रूस-यूक्रेन जंग से जुड़ा है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कीमतों के बढ़ने के लिए रूस-यूक्रेन जंग को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि फरवरी में उस हमले से पहले ही महंगाई आक्रामक रूप से बढ़ रही थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गैस स्टेशन मालिकों से कीमतें कम करने का आह्वान किया है।
- 2- दूसरा कारण डिमांड सप्लाई गैप है। दरअसल, कोरोना के खिलाफ तेजी से वैक्सीनेशन होने की वजह से अमेरिका की इकोनॉमी तेजी से सुधरी है। उम्मीद से तेजी से हुए इस सुधार की वजह से डिमांड में तेजी आई है। इसके साथ ही सरकार के पैकेज की वजह से उपभोक्ताओं को राहत मिली।
- 3- कोरोना में जिन लोगों की नौकरी गई उन्हें भी इस पैकेज ने काफी मदद की। इन सभी ने डिमांड को बढ़ाया। डिमांड में इस रिकवरी के लिहाज से सप्लाई नहीं बढ़ सकी। डिमांड सप्लाई का ये गैप महंगाई बढ़ने की वजह बन गया।
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