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नई दिल्ली, हिंदुस्तान ब्यूरो। पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में कब्रिस्तानों में शव दफनाने की जगह नहीं बची है। नतीजतन पहले से दफनाए जा चुकी कब्रों को हटाकर, वहीं पर दूसरे शवों को दफनाया जा रहा है। 1.6 करोड़ की आबादी वाले इस तटीय शहर में पुराने मकबरे टूटे हुए देखे जा सकते हैं। खबरों के अनुसार, कब्रिस्तान में जगह के संकट के बीच कब्र माफिया भी हावी हो गए हैं।
पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची में कब्रिस्तान में जगह का संकट इतना गंभीर हो गया है कि लोग अपने परिजनों के शवों को दफनाने के लिए कब्र माफियाओं को मोटी रकम देने को मजबूर हैं। कराची में 250 कब्रिस्तान हैं, लेकिन कमोबेश हर जगह यही स्थिति है। कराची के 39 कब्रिस्तानों का प्रबंधन करने वाले कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन (केएमसी) के प्रवक्ता अली हसन साजिद ने कहा, वास्तविक समस्या यह है कि बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। शहर में बुनियादी ढांचा वही है जो पाकिस्तान की स्थापना के समय मौजूद था। कुछ घटा -बढ़ा नहीं,जबकि शहर की जनसंख्या हर साल तेज गति से बढ़ रही है। कब्र माफिया परिजन के शवों को दफनाने के लिए 55,000 और 175,000 रूपये तक का भुगतान करने को मजबूर हैं।
बढ़ रही है शहरी जनसंख्या
पाकिस्तान जनसंख्या के हिसाब से विश्व में पांचवें स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार ,2020 में देश की जनसंख्या 22.08 करोड़ थी। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, देश की 35.1 आबादी शहरी है।
आखिरी निशानी बचाना चुनौती
कब्र माफिया सक्रिय होने के बाद परिजनों की अंतिम याद बचना लोगों के लिए चुनौती बन गई है। जो लोग कुछ समय बाद र्पू्वजों के आखिरी निशानी को देखने आते हैं तो कब्र के ऊपर किसी और के पूर्वज के नाम का पत्थर दिखाई देता है।