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यह चुनौतियां होंगी
● कर्मचारियों को हर महीने समय से वेतन और सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन देने का प्रबंध करना होगा
● निगम को मजबूत बनाने के लिए राजस्व की वसूली सुधारनी होगी
● तीनों लैंडफिल साइट भलस्वा, ओखला और गाजीपुर की ऊंचाई पर नियंत्रण करना होगा
● कूड़े का निष्पादन, स्वच्छता व अवैध निर्माण पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी
● भ्रष्टाचार पर अंकुश रखना होगा
नई दिल्ली। दिल्ली के तीनों नगर निगम अब एक हो गए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी। इसी के साथ दस साल बाद दिल्ली नगर निगम पुन: अस्तित्व में लौट आया है, जिसमें तीन की बजाय एक महापौर और एक निगमायुक्त होंगे। विधेयक को लोकसभा ने 30 मार्च और राज्यसभा ने पांच अप्रैल को मंजूरी दी थी।
वर्ष 2012 में दिल्ली नगर निगम के तीन हिस्से किए गए थे, जिसमें दक्षिण दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम बनाया गया था। केंद्र की ओर से जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि संसद के निम्नलिखित कानून को 18 अप्रैल 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई और इसे आम सूचना के लिए प्रकाशित किया जाता है।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, दिल्ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण का मकसद संसाधनों का अधिकतम उपयोग, समन्वय और रणनीतिक योजना सुनिश्चित करना है। निगम में पार्षदों की कुल संख्या और अनुसूचित जाति समुदायों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण निगम के गठन के समय केंद्र द्वारा किया जाएगा। इसमें सीटों की संख्या 250 से कम नहीं होगी। पूर्ववर्ती निगमों की सारी चल व अचल संपत्ति दिल्ली नगर निगम में समाहित हो जाएगी। वहीं, विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, देश की राजधानी में नागरिक सेवाएं देनेे एवं वित्तीय मुश्किलों और क्रियाशील अनिश्चितताओं को दूर करने के प्रयास के तहत इसे लाया गया है। गौरतलब है कि राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ‘आप’ सरकार पर निगमों के साथ सौतेले व्यवहार आरोप लगाया था। शाह ने कहा था कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 (एए) के तहत लाया गया है, जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का हक है।