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नई दिल्ली। जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए सांसदों के वोट का मू्ल्य 708 से घटकर 700 रह जाएगा। इसकी वजह जम्मू-कश्मीर विधानसभा का भंग होना है। दरअसल, राज्यों के विधायकों के मतों के मूल्य के आधार पर ही सांसदों के वोट का मूल्य तय होता है।
सूत्रों ने बताया कि 87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा अभी भंग है। आबादी के हिसाब से हर राज्य के विधायकों के मतों का मूल्य अलग-अलग है। जम्मू-कश्मीर के विधायक का मत मूल्य 72 है। इस प्रकार राष्ट्रपति चुनाव के लिए 87 विधायकों का मत मूल्य कुल 6,264 बनता है।
देश की सभी विधानसभाओं के मत का कुल मूल्य 5,49,495 : देश की सभी विधानसभाओं के मत का कुल मूल्य 5,49,495 है, लेकिन इसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा का मत मूल्य 6,264 कम हो जाएगा। इस बार विधानसभाओं के वोट का कुल मूल्य 5,43,231 रह जाएगा।
ऐसे निकाला जाता है सांसदों का मत मूल्य: सांसदों का मत मूल्य विधानसभाओं के कुल मत मूल्य से निकाला जाता है। मसलन, पिछले राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों का कुल मत मूल्य 5,49,495 था, जिसे लोकसभा और राज्यसभा के कुल 776 सांसदों की संख्या से विभाजित करने पर सांसद का मत मूल्य 708 निकलता है, लेकिन इस बार विधायकों का कुल मत मूल्य 5,43,231 रह गया है। इसलिए, इसे 776 सांसदों से विभाजित करने पर सांसद का मत मूल्य 700 रह जाएगा।
राज्यसभा की भी चारों सीटें खाली: इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं होने के कारण राज्यसभा की भी चारों सीटें खाली हैं। इससे भी राष्ट्रपति चुनाव में मत मूल्य 2800 कम हो जाएगा। हालांकि, जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिलेगा, क्योंकि इसके लोकसभा के पांच सदस्य देश के प्रथम नागरिक का चुनाव करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे। जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर राज्यसभा सचिवालय ने कानून मंत्रालय से परामर्श मांगा है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सांसदों के मत मूल्य को कम करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।