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मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी संकट बुधवार को और गहरा गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों से भावुक अपील करते हुए बागी विधायकों को सुलह करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन एकनाथ शिंदे अड़े हुए हैं। शिंदे ने 46 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। उनकी मांग है कि शिवसेना मौजूदा सरकार से गठबंधन तोड़ दे। देर रात उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास ‘वर्षा’ छोड़ दिया और परिवार समेत निजी आवास ‘मातोश्री’ पहुंच गए। हालांकि, शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ेंगे।
शिंदे के समर्थक विधायकों की संख्या बढ़ी: इससे पहले मुंबईसे लेकर गुवाहाटी तक दिनभर हलचल बनी रही। दिनभर बैठकें होती रहीं। सूरत से गुवाहाटी पहुंचे शिंदे के समर्थक विधायकों की संख्या बढ़ गई है। सुबह उनके साथ शिवसेना के 34 विधायकों समेत 41 विधायक बताए जा रहे थे, लेकिन देर शाम शिंदे ने 46 के साथ होने का दावा किया। इनमें सात निर्दलीय भी शामिल हैं। देर रात शिवसेना के चार और विधायक चार्टर्ड प्लेन से गुवाहाटी पहुंच गए।
जरूरत पड़ी तो बहुमत साबित करेंगे : संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं और बने रहेंगे। जरूरत पड़ी तो महा विकास आघाड़ी गठबंधन विधानसभा में बहुमत साबित करेगा। राउत ने उन खबरों का खंडन किया जिनमें कहा गया था कि महागठबंधन की सरकार बचाए रखने के लिए शरद पवार ने उद्धव से शिंदे को सीएम बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि महा विकास आघाड़ी अंत तक लड़ाई लड़ेगा। इससे पहले आदित्य ठाकरे ने ट्विटर बायो से मंत्री शब्द हटा दिया था।
सीएम पद छोड़ने के लिए तैयार
एकनाथ शिंदे पार्टी को बचाना चाहते हैं तो वो बयानबाजी क्यों कर रहे हैं। मुझसे कहें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष पद संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं इस्तीफा दे दूंगा।
– उद्धव ठाकरे, मुख्यमंत्री
‘मातोश्री’ से शिवसैनिकों का भावनात्मक लगाव
● मातोश्री ठाकरे परिवार का निजी निवास है। बाला साहेब ठाकरे भी यहीं से शिवसेना का संचालन किया करते थे।
● जानकारों का कहना है कि मातोश्री से शिवसैनिकों का खास लगाव है और यहां से निकला संदेश बागी विधायकों के मुंबई लौटने की राह खोल सकता है।
● यही वजह है कि शिवसेना सुप्रीमो रात 9:50 बजे जब परिवार के साथ मुख्यमंत्री आवास छोड़ मातोश्री पहुंचे तो अपने नेता के लिए पहले से बड़ी संख्या में शिवसैनिक वहां जमा थे। उन्होंने फूल बरसाए और नारेबाजी कर स्वागत किया। देर रात तक वहां जमावड़ा था। पार्टी के बड़े नेता पहुंचने लगे थे।
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