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National Logistics Policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय रसद नीति यानी नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी का शुभारंभ किया. जानिए इसके बारे में सबकुछ.
National Logistics Policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने जन्मदिवस पर देश को एक बड़ी सौगात दी है. पीएम ने नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) का शुभारंभ किया, जो कारोबार जगत के लिए मील का पत्थर साबित होगी. प्रधानमंत्री ने इस पॉलिसी की शुरुआत करते हुए इसकी तमान खूबियां गिनाईं और अपने संबोधन में कहा कि विकास की ओर बढ़ते भारत को यह नीति एक नई दिशा देगी. दुनिया अब भारत को नए रूप में देख रही है और स्वीकार कर रही है. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद कारोबार जगत को बहुत बड़ा फायदा होगा जो निचले स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक आत्मनिर्भर भारत को नई उड़ान देगा.
पॉलिसी से क्या होगा फायदा
इस राष्ट्रीय रसद नीति के लागू होने के बाद कोविड से प्रभावित अर्थ व्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. इससे सामानों की सप्लाई में आने वाली समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी और साथ ही माल ढुलाई में होने वाली ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में भी फायदा होगा. फिलहाल भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए ज्यादातर सड़क, उसके बाद जल परिवहन और फिर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है.
भारत अपनी जीडीपी का लगभग 13 से 14 प्रतिशत हिस्सा लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश इसी के लिए 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं. इस पॉलिसी के लागू होने से लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और इस पर खर्च भी कम हो जाएगा.
क्या होता है लॉजिस्टिक यानी माल ढुलाई
भारत में दूर-दराज गांवों-कस्बों में हर जगह ज़रूरी चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं. खाने-पीने से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, बड़े से लेकर छोटे सामान तक के लिए व्यापारियों को अपना माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें एक जगह से दूसरी जगह ले जानी पड़ती हैं, कभी ये दूरी कम होती है तो कभी ये दूरी काफी लंबी होती है. इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर तय जगह पर पहुंचाता है. इसे ही माल ढुलाई कहते हैं.
बड़े पैमाने पर बात करें तो लोगों की जरूरतों के सामान को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर जहां जिस चीज की जरूरत है उसे वहां तक पहुंचाना शामिल है. इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा खर्च ईंधन का होता है. इसके अलावा, सड़कों से माल ले जाने में दूरी और तय जगह तक पहुंचने में देरी, टोल टैक्स और रोड टैक्स आदि, जो विकसित देशों में लॉजिस्टिक की सरल पद्धति के कारण आसान है और कम खर्चीला है.
क्या है National Logistics Policy?
National Logistics Policy में सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया गया है जिसका मकसद अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाना है, जो अभी जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है. फिलहाल माल ढुलाई यानी लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर का काम भारत में सड़कों के ज़रिए होता है. इस पॉलिसी के तहत अब माल ढुलाई का काम रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट से होगा. इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर ट्रैफिक कम होगा और दूसरे ईंधन की बचत होगी. पैसे और समय दोनों कम लगेंगे.
बता दें कि विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स इंडेक्स 2018 के मुताबिक दुनिया के बड़े देशों के मुकाबले भारत माल ढुलाई के खर्च के मामले में 44 वें स्थान पर है. इसका मतलब है कि भारत विकसित देशों अमेरिका-चीन-जापान जैसे देशों से बहुत पीछे है. लॉजिस्टिक्स के खर्च के मामले में जर्मनी नंबर वन है यानी वह माल ढुलाई में सबसे कम खर्च करता है.
भारत में माल ढुलाई का नेटवर्क बहुत बड़ा है
भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 20 से ज्यादा सरकारी एजेंसियां, 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां (पीजीए), 37 एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, 500 प्रमाणन और 10,000 से ज्यादा चीजें शामिल हैं. इसमें 200 शिपिंग एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक्स सर्विसेज, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी), 166 कंटेनर फ्रेट स्टेशन (सीएफएस), 50 आईटी सिस्टम, बैंक और बीमा एजेंसियां शामिल हैं. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि इस सेक्टर की वजह से देश के 2.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है.
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