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दोस्ती के बीच आया हिजाब, साथ बैठकर लंच करने वाली छात्राएं हिंदू-मुसलमान में बंटीं
अरब सागर के तट पर बसे खूबसूरत शहर उडुपी में उठे हिजाब विवाद ने बहुत कुछ बदल दिया है। पहले जो दोस्त कभी साथ बैठकर लंच करने और खेलने में झिझकते नहीं थे, आज उनके बीच एक फासला बन गया है। उडुपी में इस विवाद ने और क्या- क्या बदल दिया, भास्कर ने इसकी पड़ताल की।
पेश है ग्राउंड रिपोर्ट। इससे पहले आप एक सवाल का जवाब देकर इस पोल में हिस्सा ले सकते हैं।
अरब सागर के तट पर बसे उडुपी के शांत समुद्रतट पर जरीना हिजाब पहनकर अपने परिवार के साथ बैठी हैं। भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर बसे इस खूबसूरत शहर में हिजाब को लेकर उठे तूफान ने सिर्फ कर्नाटक, बल्कि पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है।
जरीना ये सोचकर परेशान हैं कि हिजाब इतना बड़ा मुद्दा कैसे बन गया। दस साल पहले उडुपी के स्कूल से पढ़ाई पूरी करने वाली जरीना कहती हैं, “तब ना हिजाब का कोई ऐसे समर्थन करता था और न ही इस तरह विरोध। सभी धर्मों की छात्राएं टिफिन साझा करती थीं।”
जरीना याद करती हैं, “मैं हेडस्कार्फ पहनती थी। मुझे नहीं याद कि कभी किसी ने उसका विरोध किया हो। अब लड़कियां और भी आगे बढ़कर पूरा चेहरा ढकने लगी हैं। उस समय स्कार्फ तो था, लेकिन इस तरह का हिजाब नहीं।”
कर्नाटक के उडुपी जिले के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज (सीनियर सेकेंड्री स्कूल के समकक्ष) की कुछ छात्राओं ने दिसंबर के अंत में स्कूल प्रशासन के हिजाब पहनने पर रोक के निर्णय का विरोध शुरू किया।
पहले उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, फिर नेशनल मीडिया में और अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं। इन लड़कियों की तरफ से हिजाब पहनने के अधिकार को लेकर दायर याचिका अब कर्नाटक हाईकोर्ट की फुल बेंच में पेंडिंग है।
इसी बीच हाईकोर्ट ने अपने अगले आदेश तक हिजाब पहनने पर रोक लगा दी है। इससे पहले कर्नाटक सरकार ने भी हिजाब मामले की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था और फिलहाल स्कूल समितियों को आदेश दिया था कि वे छात्राओं को क्लास में हिजाब पहनकर न आने दें।