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इसी से फोन का सर्किट और कार का एग्जॉस्ट होता है तैयार, जानिए युद्ध से इन चीजों पर क्या असर होगा?
रूस और यूक्रेन के युद्ध का असर भारत में भी दिखने लगा है। एक तरफ जहां शेयर बाजार लगातार धराशाई हो रहा है। तो क्रूड ऑयल की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं। भले ही इसका असर अभी पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नहीं दिख रहा हो, लेकिन जल्दी कीमतें बढ़ने के आसार हैं। इधर पैलेडियम की कीमत में भी तेजी इजाफा होने लगा है।
पैलेडियम का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन रूस में होता है। इसका इस्तेमाल पेट्रोल और हाइब्रिड गाड़ियों के एग्जॉस्ट, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक इक्युपमेंट्स, डेंटल ट्रीटमेंट, ज्वैलरी में भी होता है। ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध से पैलेडियम से जुड़ी चीजों पर क्या असर होगा, आइए जानते हैं।
सबसे पहले जानते हैं कि पैलेडियम क्या है?
पैलेडियम चमकने वाला व्हाइट मेटल है। ये प्लैटिनम, रुथेनियम, रोडियम, ओस्मियम, इरीडियम वाले ग्रुप का हिस्सा है। ये रूस और दक्षिण अफ्रीका में भारी मात्रा में पाया जाता है। इसे प्लैटिनम और निकल के एक बाइप्रोडक्ट की तरह निकाला जाता है। ये दुनिया की सबसे कीमती धातुओं में सबसे ऊपर है। इसकी बड़ी वजह इस मेटल की कमी है।
गाड़ियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को लेकर सभी देशों की सरकार सख्त हो रही हैं। ऐसे में इस मेटल की डिमांड में तेजी आई है। हालांकि, पैलेडियम की सप्लाई और मांग में बड़ा अंतर है। यही वजह है कि इसकी कीमत सोना और प्लैटिनम से भी ज्यादा है।
दुनिया का सबसे महंगा मेटल पैलेडियम
मेटल की लाइव कीमत को ट्रैक करने वाली फर्म किटको (kitco) के मुताबिक, आज पैलेडियम के प्रति ग्राम की कीमत 6,188 रुपए है। इसके प्रति तोला यानी 10 ग्राम की कीमत 72,184 रुपए है। वहीं, प्रति किलो की कीमत 6,188,797 रुपए है। दूसरी तरफ, आज सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 51,419 रुपए है। वहीं, प्लेटिनम के प्रति 10 ग्राम की कीमत 35,180 रुपए है।
अब जानते हैं कि पैलेडियम का इस्तेमाल किन-किन चीजों में होता है?
पेट्रोल और हाइब्रिड गाड़ियों के एग्जॉस्ट में इस्तेमाल होने वाले कैटेलिटिक कनवर्टर पैलेडियम से तैयार किए जाते हैं। 2009 में पहली बार पेट्रोल गाड़ियों की बिक्री डीजल गाड़ियों के मुकाबले बढ़ गई थी। 80% पैलेडियम का इस्तेमाल कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड जैसी कम नुकसानदेह गैसों में बदलने के लिए किया जाता है।
ICBC स्टैंडर्ड बैंक के डेटा के मुताबिक, खदानों से निकाले जाने वाले 75 से 80% पैलेडियम का इस्तेमाल कैटेलिटिक कनवर्टर बनाने के लिए किया जाता है। इस दौरान इसका 2 से 7 ग्राम तक इस्तेमाल होता है। ये कनवर्टर कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को वॉटर वेपर में बदल देता है। ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध ये पैलेडियम महंगा होता है तब कार की कीमत में बढ़ना भी तय है।
फोन, डेंटल ट्रीटमेंट में भी पैलेडियम का यूज
- एक फोन में करीब 0.015 ग्राम पैलेडियम का इस्तेमाल होता है। फोन के माइक्रो प्रोसेसर और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स में पैलेडियम को लगाया जाता है।
- इसी तरह, जब एक दांत ‘ड्रिल एंड फिल’ ट्रीटमेंट से परे हो जाता है, तो क्राउन और ब्रिज के लिए पैलेडियम मिश्र धातुओं का उपयोग किया जाता है।
फोन में भले ही पैलेडियम का इस्तेमाल बेहद छोटे स्तर पर हो रहा हो, लेकिन फोन मैन्युफैक्चरिंग में ये जरूरी भी है। युद्ध से रूस में पैलेडियम की कीमतें बढ़ती हैं तब दक्षिण अफ्रीका भी इसकी कीमतों में इजाफा कर सकता है। इन हालात में ऐसी स्थिति ना बन जाए जैसे कार के लिए सेमीकंडक्टर की हो गई थी।
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