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छात्रों को लाने के लिए मुंबई से एअर इंडिया का विमान रवाना; इंडियंस के निकलते ही रूस ने बिल्डिंग उड़ाई
रूस-यूक्रेन में सबसे ज्यादा प्रभावित लुहांस्क से एक दिन पहले ही मैं कीव पहुंची थी। कीव के रास्ते में थी, तभी युद्ध के बारे में जानकारी मिली। कीव के रेलवे स्टेशन पहुंची तो यहां हालात और खराब मिले। हर जगह अफरा-तफरी का माहौल था। 5 घंटे इंतजार करने के बाद बड़ी मुश्किल से टैक्सी मिली। हम इंडियन एम्बेसी जाना चाहते थे, लेकिन हालात इतने खराब हो गए थे कि एम्बेसी पहुंच ही नहीं पाए।
हमारे पास रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। टैक्सी ड्राइवर ने ही हमें अपने एक परिचित के घर किराए से एक कमरा दिलवाया। इस दौरान हमने लगातार इंडियन एम्बेसी फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। जिस जगह हम एक दिन रुके थे, उसके आसपास कई बार धमाकों की आवाजें आ रही थी। हमारी बिल्डिंग के बिल्कुल बगल में यूक्रेनी सेना का कोई दफ्तर था। शाम होते-होते सेना के दफ्तर के आगे यूक्रेन की सेना का जमावड़ा होने लगा। रात भर वहां जवानों का आना-जाना लगा रहा।
सुबह होते ही हमने फिर एम्बेसी को फोन ट्राई किया। हमें खबरें मिल रही थी कि रूसी सेना कीव की तरफ बढ़ रही है, इससे हमारी धड़कनें और बढ़ती जा रही थी। हमारे रूम से एम्बेसी करीब 11 किमी दूर थी। बड़ी मुश्किल से एक टैक्सी मिली। हम एम्बेसी पहुंचे ही थे कि पता चला कि रूस ने अटैक करके यूक्रेनी सेना के उस दफ्तर को तहस-नहस कर दिया। ये सुनकर तो हम कांप गए और भगवान का शुक्रिया भी अदा किया कि ठीक समय पर वहां से निकल गए।
यह स्कूल 3 फ्लोर का है। शुरू में दो ही फ्लोर ओपन किए गए, स्टूडेंट्स की भीड़ बढ़ी तो तीसरा फ्लोर भी खोल दिया गया। इस स्कूल में भारत के करीब 1 हजार स्टूडेंट्स ने शेल्टर लिया हुआ है। एम्बेसी ने ही स्टूडेंट्स के खाने-पीने की व्यवस्था की, लेकिन भीड़ बढ़ती गई तो खाना भी कम पड़ गया। अभी हालत यह है कि कई लोग बालकनी में चटाई बिछाकर बैठे हुए हैं। हॉल में भी इतनी भीड़ है कि पैर रखने की जगह नहीं है।
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