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बीते दो साल तक कोरोना संक्रमण के चलते फीकी रहने के बाद अब एक बार फिर होली की कारोबारी रंगत लौट आई है। रंग, अबीर-गुलाल, बच्चों की पिचकारी, खाने के सामान और कपड़ों की बिक्री पिछले साल की तुलना में करीब डेढ़ गुना अधिक हो चुकी है। हालांकि, लागत बढ़ने से होली के लगभग सभी सामान महंगे हो गए हैं।
गुजरात गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट अर्पण शाह के मुताबिक, दो साल से त्योहारों में कई लोगों ने कपड़े की खरीदी नहीं की थी। कोरोना की पाबंदियां हटने और चौथी लहर नहीं आएगी, इस उम्मीद में लोगों ने त्योहार धूमधाम से मनाएंगे। बीते दो-तीन महीनों से गारमेंट सेक्टर में काफी फुटफॉल देखने को मिल रहा है। त्योहारों में गारमेंट की बिक्री में 50-70% बढ़ने का अनुमान है।
प्लास्टिक महंगा होने से पिचकारी के दाम 30-40% बढ़े
देश में पिचकारी बनाने का काम मुख्य रूप से दिल्ली में होता है, जो कि अमूमन नवंबर से शुरू होता है। इस बार कोरोना की तीसरी लहर के डर से उत्पादन ठप था। जनवरी से उत्पादन शुरू तो हुआ, लेकिन कम समय के चलते पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पाई। इतना ही नहीं, प्लास्टिक महंगा होने से पिचकारी के दाम 30-40% बढ़ गए हैं। अच्छी बात ये है कि इस साल बाजार में ज्यादातर पिचकारी मेड इन इंडिया हैं।
मावे की बिक्री में भी उछाल
रंग और पिचकारी के अलावा, गुझिया में इस्तेमाल होने वाले मावे की बिक्री में भी अच्छा-खासा उछाल देखने को मिल रही है। मप्र दुग्ध विक्रेता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत मथुरावाला कहते हैं, ‘पिछले दो सालों में होली के दौरान लॉकडाउन लगने से मिठाइयों की बिक्री में कमी आई थी, लेकिन इस साल मार्केट खुला है। मावे की खपत लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है।’
हालांकि, महंगाई ने मावा और मिठाई जैसे सेगमेंट में भी दस्तक दे दी है। भीखाराम चांदमल भुजियावाला के निदेशक आशीष अग्रवाल ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि इस साल खाद्य तेल और अन्य रॉ मटेरियल के दाम बढ़ने से लागत बढ़ी है। इसके चलते होली के मौके पर मिठाई और नमकीन की कीमतों में भी 10-16% बढ़ोतरी हुई है।
बिक्री में अच्छी बढ़ोतरी होने की उम्मीद
छत्तीसगढ़ कैट स्टेट प्रेसिडेंट जितेंद्र दोशी कहते हैं कि दो साल से कारोबार ठप था। कोरोना पाबंदियां हटने के साथ ही व्यापारियों ने होली पर होने वाले कारोबार को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थीं। इस बार बिक्री में अच्छी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
रंग और पिचकारी का कारोबार 25,000 करोड़ का
होली के सामानों के सबसे बड़े मार्केट दिल्ली के सदर बाजार के कारोबारी मयूर गुप्ता ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, ‘इस साल रंग-गुलाल जैसे होली से जुड़े सभी सामानों की जोरदार बिक्री हो रही है। पिचकारी की बिक्री करीब दोगुनी हो गई है। बिजनेस प्री-कोविड लेवल पर पहुंच गया है।’ कोविड से पहले तक होली के मौके पर देश में करीब 25,000 करोड़ रुपए के सिर्फ रंग और पिचकारी बिकते थे।