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खाद्य मंहगाई 23 महीने के उच्च स्तर पर
नयी दिल्लीः भारत में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2021 में इसे पिछले माह की तुलना में हल्की नरम हो कर 13.56 प्रतिशत पर आ गयी पर अब भी यह एक साल पहले इसी माह की तुलना में काफी ऊंची बनी हुई है। इससे पहले चार महीने तक मुद्रास्फीति में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट आने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति में दरों को स्थिर रख सकता है। आरबीआई मौद्रिक नीति की घोषणा नौ फरवरी को करेगा।
खाद्य महंगाईः रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर 2021 में 0.1 प्रतिशत थी जो दिसंबर 2021 में 23 महीने के उच्चतम स्तर 9.6 प्रतिशत पर पहुंच गई।
क्या है स्थितिः अप्रैल से लगातार नौंवें महीने थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति दहाई अंक में बनी हुई है। पिछले साल नवंबर में मुद्रास्फीति 14.23 प्रतिशत थी जबकि दिसंबर 2020 में यह 1.95 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति दिसंबर में 23 महीने के उच्चतम स्तर 9.56 प्रतिशत पर पहुंच गई। नवंबर में यह 4.88 प्रतिशत थी। सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी नंवबर के 3.91 प्रतिशत की तुलना में दिसंबर में 31.56 प्रतिशत हो गई। खाद्य सामग्रियों की श्रेणी में दालें, गेहूं, अनाज और धान में नवंबर की तुलना में दिसंबर में कीमतें बढ़ीं जबकि आलू, प्याज, फल और अंडा, मांस तथा मछली के दामों में नरमी आई।
बढ़ने का कारणः वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘दिसंबर 2021 में मुद्रास्फीति की दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों, खाद्य उत्पादों, कपड़ा, कागज और कागज के उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण इससे पिछले साल इसी महीने की तुलना में ज्यादा है।’ विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में 10.62 प्रतिशत थी जबकि इससे पहले के महीने में यह इससे अधिक 11.92 प्रतिशत थी। दिसंबर में ईंधन और विद्युत वर्ग में मुद्रास्फीति 32.30 प्रतिशत हो गई, जबकि नवंबर में यह 39.81 प्रतिशत थी।